जानें 19 साल पहले कानपुर का वो मामला जिसके कारण UP विधानसभा लगी अदालत

रंजय सिंह

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Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश विधानसभा ने लगभग दो दशक पुराने एक मामले में तत्कालीन बीजेपी विधायक सलिल विश्नोई द्वारा दिए गए विशेषाधिकार हनन के मामले में शुक्रवार को छह पुलिसकर्मियों को एक दिन के कारावास की सजा सुनाई. दरअसल, विशेषाधिकार हनन का नोटिस 2004 का है. जब विश्नोई 15 सितंबर, 2004 को कानपुर में बिजली कटौती के खिलाफ जिलाधिकारी (कानपुर नगर) को एक ज्ञापन सौंपने जा रहे थे, तब पुलिस कर्मियों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया था. आइए आपको बताते हैं क्या था पूरा मामला.

क्या है पूरा मामला?

मामला 19 साल पुराना है. दरअसल, साल 2004 में सलिल विश्नोई कानपुर की जनरलगंज सीट से भाजपा के तत्कालीन विधायक थे. उन्होंने 25 अक्टूबर, 2004 को विधानसभा अध्यक्ष से शिकायत की थी. जिसमें उन्होंने कहा था कि 15 सितंबर, 2004 को वह शहर में बिजली कटौती से संबंधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपने के लिए जा रहे थे. इस दौरान उनके पार्टी के कुछ कार्यकर्ता भी साथ थे. इसी दौरान क्षेत्राधिकारी बाबूपुरवा अब्दुल समद और अन्य पुलिसकर्मियों ने उनके साथ मारपीट की और अपशब्द कहे. सलिल विश्नोई ने जब बताया कि वो विधायक हैं तो क्षेत्राधिकारी ने कहा कि ‘मैं बताता हूं कि विधायक क्या होता है. इसके बाद पुलिसकर्मियों ने उनकी लाठी-डंडों से पिटाई की थी, जिसकी वजह से विश्नोई के दाहिने पैर में फ्रैक्चर हो गया था.

इसके बाद विधानसभा में भी हंगामा हुआ था खुद कल्याण सिंह से लेकर आज के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उनको देखने कानपुर आए थे. इस मामले में 19 साल बाद विधानसभा की कमेटी ने दोषी पुलिसकर्मियों को सजा का ऐलान किया है. इसमें तत्कालीन सीओ रहे अब्दुल समद स्पेक्टर निशिकांत समेत छह पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई गई है. जिसमें तत्कालीन सीओ अब्दुल समद आईएस होने के बाद रिटायर हो गए थे. स्पीकर सतीश महाना ने फैसले की घोषणा की और कि पुलिसकर्मी आधी रात तक विधानसभा भवन के एक कमरे में कैद रहेंगे और उनके लिए भोजन व अन्य सुविधाओं जैसी सभी व्यवस्था रहेगी. बता दें कि इससे पहले विधानसभा में 1964 में अदालत लगी थी. तब विधानसभा के सदस्य केशव सिंह को गिरफ्तार करके अध्यक्ष के सामने पेश किया गया था.

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