हाइकोर्ट ने 43 पुलिसकर्मियों को सुनाई उम्रकैद की सजा, फर्जी एनकाउंटर में मारे गए थे 10 सिख

संतोष शर्मा

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Pilibhit News: पीलीभीत में एनकाउंटर के मामले में कोर्ट ने 43 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एनकाउंटर में शामिल 43 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है. जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की डबल बेंच ने पीलीभीत एनकाउंटर मामले में पुलिस कर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई है.

दरअसल, 12 जुलाई 1991 में तीर्थयात्रा को जा रहे 10 सिखों को आतंकी बताते हुए बस से उतर कर मार दिया गया था. पुलिस का दावा था कि मारे गए सभी लोग खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट से जुड़े थे.

बता दें कि 1991 को पीलीभीत के कछला घाट के पास तीर्थ यात्रियों को लेकर जा रही बस से पुलिस ने 11 सिख नौजवानों को उतार लिया था, जिसके बाद 10 सिखों का एनकाउंटर कर दिया गया था. वहीं शाहजहांपुर का तलविंदर सिंह आजतक लापता है. बस से उतारकर 10 सिख तीर्थयात्रियों को पीलीभीत के पूरनपुर न्यूरिया और बिलसंडा थाना क्षेत्र में खालिस्तान लिबरेशन फ्रंट का आतंकी बताकर मार डाला गया था.

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सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 15 मई 1992 में सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू की थी. अप्रैल 2016 में सीबीआई चार्जशीट पर सुनवाई के बाद लोअर कोर्ट ने सभी 57 पुलिसकर्मियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी. लोअर कोर्ट से सजा मिलने के बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अपील की थी. सुनवाई के बाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने भी जिंदा बचे 43 पुलिसकर्मियों को एनकाउंटर का दोषी माना था. वहीं गुरुवार को इस मामले में कोर्ट ने सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई है.

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