UP: मदरसों में नहीं पढ़ेंगे हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम छात्र? जानिए क्या है आगे का प्लान
Uttar Pradesh News: मदरसों में हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम छात्र अब आगे पढ़ाई जारी नहीं रख पाएंगे. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCRPC) ने…
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Uttar Pradesh News: मदरसों में हिन्दू और अन्य गैर मुस्लिम छात्र अब आगे पढ़ाई जारी नहीं रख पाएंगे. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCRPC) ने ये दिशानिर्देश जारी किया है. आयोग ने निर्देश दिया है कि अनुदान प्राप्त और मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम छात्र और छात्राओं की पहचान कर रिकॉर्ड तैयार करने का निर्देश दिया गया है. वहीं मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के सर्वे की मांग के बाद उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग हरकत में आया है.
आयोग ने मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों की पढ़ाई, स्थिति और वे वहां कैसे पढ़ने आए आदि पर एक पत्र जारी किया है. इस पत्र में मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को हटाने की बात कही गई है. उन बच्चों को राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत एडमिशन दिया जाएगा.
वहीं उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने यूपी तक से बात करते हुए बताया कि मदरसों के आधुनिकीकरण के बात तो हो रही है लेकिन अभी भी मदरसे आधुनिक नहीं हुए हैं. मदरसों में जो शिक्षा दी जा रही है वह भी इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है. मदरसों में जो शिक्षक हैं वह अपने मदरसे से ही पढ़े हुए हैं और मदरसे से पढ़ने के बाद उनके पास अरबी उर्दू फारसी की ही शिक्षा है. मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक किसी दूसरे विषय के विशेषज्ञ है ही नहीं. अभी आधुनिकीकरण हो रहा है हुआ नहीं है और जब तक आधुनिकीकरण नहीं हो जाएगा तब तक दूसरे धर्म के बच्चे उस मदरसे में नहीं पढ़ेंगे.
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डॉ. सुचिता चतुर्वेदी ने कहा कि 3 जनवरी को उरई का दौरे पर अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने माना कि मदरसों में हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं. इसलिए हमने जिले की बाल समिति से उनके परिवार की एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करने को कहा है.
उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट के माध्यम से हम सभी मदरसों का सर्वे कराएंगे कि वहां पर हिंदू बच्चों की संख्या कितनी है. बच्चे किन परिस्थितियों में वहां हैं. कहा जाता है कि मदरसों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं तो गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए हमारे यहां राइट टू एजुकेशन है. जिसके लिए अच्छे स्कूलों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करेगा. इस सर्वे में जो बच्चे सामने आएंगे उनको आरटीई के तहत एडमिशन मिलेगा. उन्होंने आगे कहा कि संस्कृत विद्यालय में मुस्लिम बच्चा पढ़ने नहीं जाता. संस्कृत विद्यालय में कक्षा 8 तक सभी विषयों की पूरी शिक्षा देते हैं, सिर्फ संस्कृत पढ़ाते हैं सभी विषय पढ़ाए जाते हैं, लेकिन मदरसों में इन बच्चों को सिर्फ धर्म शिक्षा भी दी जाती है.
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