उत्तर प्रदेश सरकार की नई आबकारी नीति जारी, क्या शराब के दाम बदलेंगे?
उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए नई आबकारी नीति जारी की है, जिसका लक्ष्य राज्य सरकार को विकास के लिए राजस्व मुहैया कराना,…
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उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022-23 के लिए नई आबकारी नीति जारी की है, जिसका लक्ष्य राज्य सरकार को विकास के लिए राजस्व मुहैया कराना, बेरोजगारों को रोजगार, किसानों को अपने उत्पाद के लिए बाजार उपलब्ध कराने के साथ ही बड़े पैमाने पर निवेशकों को आकर्षित करना है.
उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव (आबकारी व चीनी उद्योग) संजय भूस रेड्डी ने शनिवार को ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वर्ष 2022-23 के लिए आबकारी नीति जारी की गई है जिसका उद्देश्य राज्य सरकार को विकास के लिए राजस्व मुहैया कराना, बेरोजगारों को रोजगार, किसानों को अपने उत्पाद के लिए बाजार उपलब्ध कराने के साथ ही बड़े पैमाने पर निवेशकों को आकर्षित करना है.
नीति के बारे में उन्होंने बताया कि नई नीति के तहत शराब का दाम राज्य में नहीं बढ़ेगा, लेकिन लाइसेंस फीस में साढ़े सात प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी. अपर मुख्य सचिव ने बताया कि नई नीति में प्रदेश का राजस्व बढ़ाने के साथ ही अच्छी गुणवत्ता की शराब ग्राहकों को उचित दर पर मुहैया कराई जाएगी.
रेड्डी ने कहा कि नई नीति के तहत वर्ष 2022-23 में उत्तर प्रदेश में बनने वाली शराब की आपूर्ति टेट्रा पैक के स्थान पर केवल कांच की बोतलों में की जाएगी और कांच की बोतलों में आपूर्ति में कठिनाई आने पर टेट्रा पैक में आपूर्ति की अनुमति अपर मुख्य सचिव आबकारी द्वारा प्रदान की जाएगी.
अधिकारी के अनुसार इस नीति में वर्ष 2022-23 के लिए देशी मदिरा दुकानों के 2021-22 के बेसिक लाइसेंस फीस पर साढ़े सात प्रतिशत की वृद्धि की गई है. देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर और भांग की फुटकर दुकानों और मॉडल शॉप का वर्ष 2022-23 के लिए नवीनीकरण किया जाएगा और नवीनीकरण के लिए आवेदन पत्र की प्रोसेसिंग फीस में वृद्धि की गई है.
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उनके मुताबिक देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, बीयर की फुटकर दुकानों, मॉडल शॉप्स और प्रीमियम रिटेल की बिक्री का समय सुबह दस बजे से रात दस बजे तक पहले की तरह ही रखा गया है.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि अभी तक प्रदेश शराब और बीयर के खरीददार के रूप में रहा है, लेकिन अब इसे प्रोडक्शन स्टेट (उत्पादक राज्य) के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के फलों से शराब बनेगी और लखनऊ के दशहरी का भी बेहतर उपयोग हो सकेगा. उनका कहना था कि इसके अलावा गेहूं और जौ से बीयर बनेगी और बाराबंकी, मिर्जापुर समेत तीन स्थानों पर बीयर का उत्पादन होगा. राज्य में धान, मक्का और आलू से भी शराब बनाने की पहल की गई है.
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