महमूदाबाद रियासत के राजा का निधन, जानें हजारों करोड़ के मालिक अमीर मोहम्मद कौन थे?
Sitapur News: सिर्फ सीतापुर ही नहीं बल्कि देश के कई जिलों में कई हजार करोड़ की जमीन पर अपनी रियासत के मालिकाना हक की लड़ाई…
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Sitapur News: सिर्फ सीतापुर ही नहीं बल्कि देश के कई जिलों में कई हजार करोड़ की जमीन पर अपनी रियासत के मालिकाना हक की लड़ाई लड़ने वाले सीतापुर की महमूदाबाद रियासत के उत्तराधिकारी राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान का लंदन में निधन हो गया. इस रसूखदार रियासत के राजा का पार्थिव शरीर महमूदाबाद पहुंचने के बाद रियासत के कर्बला में सुपुर्दे ऐ खाक कर दिया गया. राजा की मौत से फिलहाल महमूदाबाद के लोग शोक में हैं. राजा का शव जब लंदन से महमूदाबाद लाया गया, तो हजारों लोगों की भीड़ जमा हो गई. जैसे ही शव महमूदाबाद स्थित उनके किले पर पहुंचा वैसे ही हजारों की संख्या में लोग अपने राजा के आखिरी बार दर्शन करने के लिए जमा होने लगे.
राजा का था राजनीतिक रसूख
बताया जाता है कि राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान की कांग्रेस सरकार में मजबूत पकड़ थी. देश के कई प्रमुख कांग्रेसी नेताओं से उनके काफी करीबी संबंध थे. इसी के चलते वह दो बार महमूदाबाद विधानसभा क्षेत्र से विधायक भी रहे. एक बार उन्होंने सीतापुर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ा, लेकिन उसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
राजस्थान रिसायत की राजकुमारी विजय मेहता से किया विवाह
महमूदाबाद रियासत के उत्तराधिकारी राजा महमूदाबाद की निजी जिंदगी भी काफी चर्चा में रही. वैसे तो राजा मुस्लिम धर्म से संबंध रखते थे. मगर उन्होंने विवाह राजस्थान की एक बड़ी रियासत की महिला विजया मेहता से किया. वह शादी के बाद विजया खान बन गई. राजा के दो बेटे हैं, जिनमें से एक वर्तमान समय में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के करीबियों में गिने जाते हैं.
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क्या है महमूदाबाद रियासत का इतिहास
बता दें कि एक समय महमूदाबाद रियासत सिर्फ अवध या उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि मुल्क की नामचीन रियासतों में से एक थी. इस रियासत की बेशुमार संपत्तियां पूरे हिंदुस्तान में फैली हुई हैं. आजादी की लड़ाई में इस रियासत के पुरखों ने अपना योगदान दिया. मगर आजादी के बाद इस रियासत के राजा मोहम्मद आमिर अहमद पाकिस्तान चले गए और कराची में जाकर बस गए. हालात ऐसे बने की भारत सरकार ने इस रियासत की संपत्तियों को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया.
बताया जाता है कि पाकिस्तान गए राजा मोहम्मद अमीर अहमद के बेटे राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद पढ़ाई के लिए लंदन गए. उन्होंने एक बार फिर भारत में वापसी की. रियासत के वारिस के तौर पर राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान ने कानूनी प्रक्रिया अपनाकर इनको वापस लेने का प्रयास किया.
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आपको बता दें कि यह एक ऐसी रियासत है, जिसके पास ना सिर्फ हजारों बीघा जमीन है, बल्कि सीतापुर, महमूदाबाद, लखनऊ, लखीमपुर, नैनीताल और दिल्ली तक में अनेकों भवन हैं. इनकी कीमत हजारों करोड़ों में हैं.
2006 में 30,000 करोड़ थी संपत्तियों की कीमत
आपको बता दें कि राजा ने सुप्रीम कोर्ट में संपत्तियों को वापस करने का केस लड़ा. सुप्रीम कोर्ट में राजा केस जीत भी गए. सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह राजा की सारी संपत्तियों को वापस करें. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राजा मोहम्मद अमीर मोहम्मद खान को को संपत्तियां मिलनी थी, उनमें सीतापुर का तत्कालीन डीएम-एसपी और सीएमओ आवास तक शामिल थे.
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इसके अलावा राजधानी लखनऊ स्थिति बटलर पैलेस, इमामबाड़ा मल्का जमानियां, हज़रतगंज की मशहूर लारी बिल्डिंग, कपूर्स, रॉयल कैफे, कोहली ब्रदर्स, महमूदाबाद मेंशन, हलवासिया की कंकड़ वाली इमारत, अस्तबल चारबाग, नैनीताल के होटल मेट्रोपोल, लखीमपुर का एसपी बंगला तक शामिल थे. इसके अलावा भी कई संपत्तियां ऐसी थी, जो राजा को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वह जमीने मिलनी थी.
सरकार ले आई थी अध्यादेश
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद केंद्र सरकार एक अध्यादेश लेकर आई थी. इसके माध्यम से सरकार ने फिर से इन सारी संपत्तियों को अपने अधीन कर लिया था. इसके बाद राजा अमीर मोहम्मद ने इस अधिनियम के ही संवैधानिक अस्तित्व को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बता दें कि साल 2006 में अदालती कार्रवाइयों के क्रम में राजा महमूदाबाद की संपत्तियों का आकलन उसे समय लगभग 30,000 करोड़ रुपए बैठा था.
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