एक्सक्लूसिव: ज्ञानवापी में शिवलिंग के दावे पर जानें क्या कहती है कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट

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ज्ञानवापी सर्वे के एक फोटो सामने आई थी जिसमें गोलाकार काले पत्थर पर सफेदनुमा कुछ लगा था और में 5 खांचे दरारेनुमा थे. इसे वादी पक्ष के लोगों ने शिवलिं और परिवादी पक्ष ने फव्वारा कहा. सभी की नजर अधिवक्ता विशेष कोर्ट आयुक्त विशाल सिंह द्वारा अदालत में पेश की गई रिपोर्ट पर है. इधर रिपोर्ट सामने आ गई है.

रिपोर्ट के आठवें पेज पर साफ बताया गया है- ” चूंकि वादी के अधिवक्ता द्वारा बताया गया था कि पानी के कुंड के बीचोबीच गोलाकार कुएं की जगत जैसी चीज के बीचोबीच पत्थर कायम है और कमिशन कार्रवाई हेतु ध्यान आकृष्ट कराया गया कि इसके बीचोबीच भगवान शिव का शिवलिंग है. जब पानी कम किया गया तो काली गोलाकर पत्थरनुमा आकृति जिसकी ऊंचाई लगभग 2.5 फीट रही होगी दिखाई पड़ी. इसके ऊपर कटा हुआ गोलाकार डिजाइन का अलग सफेद पत्थर दिखाई पड़ा. जिसके बीचो-बीच आधी इंची से थोड़ा कम गोल छेद था जिसमें सींक डालने पर 63 सेमी गहरा पाया गया. इसकी गोलाकार आकृति की नाप की गई तो बेस का व्यास लगभग 4 फुट पाया गया. इस दौरान कमीशन कार्यवाही वादी पक्षी के वकील इसको शिवजी का शिवलिंग कहने लगे तब मुस्लिम पक्ष ने से फव्वारा कहा.

प्रतिवादी ने ये किया था दावा

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रिपोर्ट में कहा गया है- ”कमीशन की कार्यवाही के दौरान वकील कमिश्नर ने प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि ये फव्वारा करीब 20 साल से बंद है. फिर बाद में कहा गया कि 12 वर्ष से बंद है. जब कहा गया कि फव्वारा चालू करके दिखावें तो मुंशी एजाज अहमद ने असमर्थता जाहिर कर दी. उस आकृति की गहराई में बीचोबीच सिर्फ आधे इंच से कम का एक छेद मिला है. जो 63 सेमी गहरा था. इसके अलावा कोई छेद किसी भी साइड में या कसी भी अन्य स्थान पर नहीं मिला है.”

फव्वारे के लिए पाइप की खातिर कोई छेद नहीं

रिपोर्ट में साफ कहा गया है- ”फव्वारा के लिए पाइप घुसाने के लिए कोई छेद नहीं मिला. इसके बाद पूरे वजू के तालाब को नपवाया गया जो 33 गुणा 33 फीट का निकला. इसमें बीच में सभी किनारों से साढ़े सात फुट अंदर एक गोलाकार घेरा आकृति कुएं के जगतनुमा पाई गई.

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इस रिपोर्ट में एक बात साफ लिखी है कि शिवलिंग जैसी आकृति के टॉप पर अलग मैटेरियल का गोलाकार पत्थर है जिसमें पांच खांचे है. ध्यान देने वाली बात है कि बीएचयू के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ने भी कहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि काले गोल पत्थर पर अलग से सफेद सीमेंट लगाया गया है.

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