पूर्वी यूपी में मौसम की बेरूखी झेल रहे किसान, जिन खेतों में लहलहानी थी फसल वहां उड़ रही धूल

उदय गुप्ता

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

एक तरफ जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त बारिश हो रही है और बाढ़ के हालात बने हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ पूर्वी उत्तर प्रदेश मे बारिश नहीं होने के चलते धान की खेती प्रभावित हो रही है. अब तो सूखे के आसार नजर आने लगे हैं. जिसके चलते अन्नदाताओं के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं. एक तरफ जहां बरसात न होने की वजह से धान की खेती पिछड़ रही है. वहीं दूसरी तरफ धान की नर्सरी को बचाने की कवायद में भी किसानों के पसीने छूट जा रहे हैं.

ये तस्वीरें धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली की हैं. जुलाई का दूसरा सप्ताह चल रहा है और अब तक जिन खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, उन खेतों में अभी तक धूल उड़ रही है. किसानों की आंखें आसमान की तरफ टकटकी लगाए देख रही हैं कि कब इंद्रदेव मेहरबान होंगे और बारिश होगी.

नियमताबाद गांव के रहने वाले किसान धर्मेंद्र सिंह हों या फिर सरने गांव के रहने वाले प्यारेलाल, इलाके के तमाम किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर बरसात नहीं होगी तो धान की रोपाई कैसे होगी और धान की फसल जब पैदा नहीं होगी तो उनके घर का खर्च कैसे चलेगा.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

दरअसल पूर्वी उत्तर प्रदेश का चंदौली जिला धान का कटोरा कहा जाता है और यहां पर धान की बेहद अच्छी पैदावार होती है.अधिकांश किसान खेती बाड़ी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बारिश ना होने की वजह से किसानों की चिंता लाजिमी है.चंदौली में कुल 256000 किसान धान की खेती करते हैं. जनपद में इस साल कुल 113600 हेक्टेयर पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

अब तक हो जानी चाहिए थी 234 एमएम बारिश- मौसम विभाग

मौसम विभाग के अनुसार जिले में अब तक 234.3 एमएम बारिश हो जानी चाहिए थी. लेकिन अभी तक सिर्फ 81.7 एमएम यानी 34 फीसदी ही बारिश हो पाई है. हालांकि जिले में सिंचाई के लिए नहरे भी हैं, जिनके माध्यम से नहरों के नजदीकी इलाके वाले किसान रोपाई कर रहे हैं. बावजूद इसके अब तक महज 12 फीसदी ही धान की रोपाई ही हो पाई है. जबकि सामान्य स्थिति में अब तक कम से कम 20% धान की रोपाई पूरी हो जानी चाहिए थी. जुलाई के अंत तक यह आंकड़ा 80% हो जाना चाहिए था.

ADVERTISEMENT

धान की नर्सरी में ही बचा पाना बड़ी चुनौती

बारिश नहीं होने से पंपिंग सेट चलाकर धान की नर्सरी बचाना ही मुश्किल साबित हो रहा है. कई ऐसे किसान भी हैं जो पंपिंग सेट चलाकर धान की नर्सरी बचाने की कवायद में जुटे हैं. नियमताबाद ब्लॉक के सिवान में हमें एक ऐसे ही किसान मिले. मंजूर आलम नाम के इस किसान ने  बताया कि एक तरफ बादल रूठ गए हैं, वहीं दूसरी तरफ डीजल की महंगाई ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. डीजल वाले पंप सेट चला कर धान की नर्सरी को बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है जो काफी महंगा पड़ रहा है.

बहरहाल चंदौली के साथ-साथ पूर्वांचल के तमाम जिलों में इंद्रदेव अभी मेहरबान नहीं हुए हैं और बारिश ना होने के चलते धान की खेती पिछड़ रही है. ऐसे में अगर कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो निश्चित रूप से इन किसानों को सूखे की मार झेलनी पड़ेगी.

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT