यूनिफॉर्म सिविल कोड पर कानून मुमकिन नहीं, इससे देश का फायदा नहीं होगा: AIMPLB

समर्थ श्रीवास्तव

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) की तरफ से रविवार को आयोजित एक बैठक में कॉमन सिविल कोड सहित कई अहम मसलों पर चर्चा हुई. बैठक में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हुए.

बैठक के बाद बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी की ओर से जारी बयान में कहा गया कि बैठक में चर्चा हुई कि देश के संविधान में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी गई है. इसमें पर्सनल लॉ भी शामिल है, इसलिए हुकूमत मजहबी आजादी का एहतराम करें और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करना एक गैर जरूरी अमल होगा. इतने बड़े देश में जहां कई धर्मों को मानने वाले लोग हैं, वहां इस तरह का कानून मुमकिन नहीं है और न ही इससे देश का कोई फायदा होगा.

बयान में कहा गया है कि 1991 के प्लेसिस आफ वरशिप एक्ट पर भी बोर्ड में चर्चा हुई और कहा गया कि ये कानून हुकूमत का बनाया हुआ कानून है. जिसे संसद ने पास किया है. उसको कायम रखना सरकार की जिम्मेदारी है, इससे देश का फायदा भी है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

रहमानी ने कहा कि वक्फ की सुरक्षा और गरीबों और मुसलमानों की शिक्षा के लिए इसका इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है, महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने और सामाजिक जीवन में उनकी भागीदारी बढ़ाने पर भी चर्चा की गई.

धर्म परिवर्तन मामले में बोर्ड में कहा गया कि धर्म का संबंध उसके यकीन से है इसलिए किसी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है. इसी बिना पर हमारे संविधान में इस अधिकार को स्वीकार किया गया है और हर नागरिक को किसी धर्म को अपनाने और किसी धर्म का प्रचार करने की पूरी आजादी है, लेकिन कुछ प्रदेशों में ऐसे कानून लाए गए हैं, जो नागरिकों को इस अधिकार से वंचित रखने की कोशिश है, जो कि निंदनीय है.

मुरादाबाद कमिश्नर के लिए मुस्लिम उलेमाओं ने मांगी दुआ, पर क्यों? रोचक है इसकी वजह

ADVERTISEMENT

    Main news
    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT