वाराणसी: गंगा नदी उफान पर, कहीं ऊंचे बने मचान पर तो कहीं गलियों में शवदाह, डूबे घाट

रोशन जायसवाल

वाराणसी में गंगा का जलस्तर एक बार फिर बढ़ रहा है. वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण तटवर्ती इलाकों में रहने वालों का…

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वाराणसी में गंगा का जलस्तर एक बार फिर बढ़ रहा है.

वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने के कारण तटवर्ती इलाकों में रहने वालों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है.

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वहीं मोक्ष की कामना के साथ महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर पहुंचने वाले शव यात्रियों को भी घंटों शवदाह के लिए इंतजार करना पड़ रहा है.

महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर शवदाह के लिए बने उचा मचान ही शवदाह का एक मात्र सहारा रह गया है.

वहीं काशी का दूसरा शमशान हरिश्चंद्र घाट के जलप्रलय में समा जाने के चलते गलियों में शवदाह संस्कार शुरू हो चुका है.

इससे न केवल शवयात्रियों को, बल्कि शवदाह करने वाले डोम समाज के लोगों को भी भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है.

यूपी और बिहार के अलावा देश के कोने-कोने से शवों के मोक्ष के लिए मणिकर्णिका घाट पर आने वालों को सिर्फ इसलिए लगभग 2 से ढाई घंटे इंतजार करना पड़ रहा है.

बाढ़ के पानी के चलते घाट पर शवदाह का स्थान संकुचित हो गया है.

इस साल आई बाढ़ की वजह से गंगा का जलस्तर बढ़ने के बाद एक बार फिर से घटने लगा था, लेकिन पिछले 3-4 दिनों से गंगा का जलस्तर बढ़ाव की ओर है.

इसके चलते गंगा अभी खतरे के निशान से पौने 4 मीटर तो वही चेतावनी बिंदु से लगभग पौने 3 मीटर नीचे तक बहने लगी है.

जब काशी के डूबे सभी घाट

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