संजय निषाद का दबाव आया काम? आरक्षण पर एक कदम आगे बढ़ी योगी सरकार, विस्तार से जानें

उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जातिगत समीकरण बैठाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती…

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उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) जातिगत समीकरण बैठाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती है, इसलिए सहयोगी निषाद पार्टी की आरक्षण के मुद्दे पर नाराजगी दूर करने के लिए यूपी सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाया है.

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बता दें कि हाल ही में गृहमंत्री अमित शाह की रैली के दौरान निषादों के विरोध और निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद के दिए हुए अल्टीमेटम के बाद यूपी सरकार एक्शन में आ गई है. आरक्षण के मामले पर प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा है.

यूपी सरकार ने पत्र में क्या लिखा है?

उत्तर प्रदेश सरकार में समाज कल्याण विभाग के विशेष सचिव रजनीश चंद्र ने रजिस्ट्रार जनरल को निषाद पार्टी के ज्ञापन के साथ पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति की सूची के क्रमांक-53 पर मझवार जाति का उल्लेख दिया गया है. डॉ. संजय निषाद का कहना है कि प्रदेश के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों में मझवार जाति के लोग माझी, मझवार, केवट, मल्लाह, निषाद आदि उपनामों का प्रयोग करते हैं. इसके चलते उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र निर्गत नहीं किया जाता, जबकि अन्य अनुसूचित जातियों के लोगों को उपनाम लिखने पर उन्हें प्रमाण पत्र निर्गत करने में कोई आपत्ति नहीं की जाती है.

आपको बता दें कि निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने मझवार जाति के सभी उपनाम वाले लोगों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र प्रदान करने की मांग कर रहे हैं.

गृह मंत्री की रैली में हुआ था बवाल

उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने निषाद पार्टी के साथ लखनऊ में 17 दिसंबर को संयुक्त रैली की थी. बता दें कि इस रैली में सत्तारूढ़ बीजेपी की ओर से निषाद समाज के आरक्षण को लेकर कोई ‘ठोस’ आश्वासन नहीं जाने पर लोगों ने नाराजगी जताते हुए बवाल किया था.

बीजेपी के साथ रैली के बाद संजय निषाद ने यूपी तक से बातचीत में कहा था, “जब हमारा समाज गुस्से में आता है तो बड़ा बदलाव करता है.”

यूपी सरकार के पत्र के बाद निषाद पार्टी के अध्यक्ष ने कहा,

“सख्ती दिखानी जरूरी थी, वरना नहीं होता. अगर बीजेपी को 18 प्रतिशत आबादी का वोट चाहिए तो उसे ये करना पड़ेगा. रैली में आरक्षण के मुद्दे पर स्पष्टीकरण ना मिलने की वजह से लोग गुस्से में थे, इसलिए सरकार के खिलाफ नारे (आरक्षण नहीं तो वोट नहीं) लगाए.”

संजय निषाद

उन्होंने आगे कहा, “जो पेच फसा था उसके हल की शुरुआत हो गई है. अपने समाज के लोगों को बधाई दूंगा कि उन्होंने संजय निषाद के नेतृत्व पर भरोसा किया. पिछली सरकारें बेईमान थीं, तभी कुछ नहीं हुआ. ये निर्णायक पहल है. केंद्र की सूची में हम अनसूचित थे, यूपी सरकारों ने पिछड़े में डाल दिया था. प्रयास करूंगा चुनाव से पहले ये हो जाए, पर समय लगता है.”

फोन टैपिंग कर छापे की कार्रवाई पर क्या बोले निषाद?

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष के करीबियों के ठिकानों पर हो रही छापे की कार्रवाई और उनके ओर से लगाए गया फोन टैपिंग के आरोपों पर संजय निषाद ने कहा सरकार जो कर रही है वो उसके साथ हैं.

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