अक्सर आपने घर के बुजुर्गों को सुबह-सुबह भीगे बादाम या अखरोट खाते देखा होगा. यह परंपरा सिर्फ आदत नहीं, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं. नट्स यानी सूखे मेवों को भिगोकर खाने की सलाह आयुर्वेद से लेकर आधुनिक न्यूट्रिशन एक्सपर्ट्स तक देते हैं.
भिगोने से नट्स में मौजूद कुछ ऐसे तत्व कम हो जाते हैं जो पाचन में रुकावट डाल सकते हैं और शरीर को पोषक तत्वों को पूरी तरह से सोखने नहीं देते. तो क्या सच में नट्स को भिगोकर खाना जरूरी है? या बिना भिगोए भी इन्हें खाया जा सकता है? आइए जानते हैं इसकी पूरी सच्चाई.
नट्स की बाहरी परत में फाइटिक एसिड और टैनिन जैसे कंपाउंड होते हैं, जो पाचन को मुश्किल बना सकते हैं. भिगोने से ये घटक कम हो जाते हैं और नट्स आसानी से पचते हैं.
भिगोने से नट्स के अंदर मौजूद जिंक, आयरन, कैल्शियम जैसे मिनरल्स शरीर में बेहतर तरीके से अवशोषित होते हैं.
कुछ नट्स में एंटी-न्यूट्रिएंट्स होते हैं, जो शरीर के पोषक तत्वों को सोखने की क्षमता को कम करते हैं. भिगोना इनकी मात्रा को घटाता है.
रोस्टेड या सॉल्टेड नट्स पहले से प्रोसेस्ड होते हैं, इन्हें भिगोना उतना असरदार नहीं होता.
नट्स को 6–8 घंटे या रातभर पानी में भिगोकर रखें. अगली सुबह अच्छे से धोकर खाएं या ड्राई करके स्टोर करें.