सुबह-सुबह हरी घास पर नंगे पांव चलना ना केवल सुकून देने वाला अनुभव होता है, बल्कि यह शरीर और मन दोनों के लिए बेहद फायदेमंद भी होता है.
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आयुर्वेद और नेचुरोपैथी में घास पर चलने को प्राकृतिक उपचार का हिस्सा माना गया है. यह आदत कई स्वास्थ्य समस्याओं में लाभ पहुंचा सकती है. मॉडर्न साइंस भी अब इस नैचुरल थेरेपी के फायदों को मान्यता देने लगी है.
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आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक: घास पर नंगे पैर चलने से पैरों के तलवों में मौजूद विशेष बिंदुओं पर दबाव पड़ता है, जो आंखों की नसों को सक्रिय करता है. यह नेत्र ज्योति बढ़ाने में मददगार माना जाता है.
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तनाव और चिंता में राहत: हरी घास पर चलना एक तरह का नैचुरल थेरेपी है. यह शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और मानसिक तनाव को कम करने में सहायता करता है.
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ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखता है: घास पर चलने से शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, जिससे हाई या लो ब्लड प्रेशर को संतुलित करने में मदद मिलती है.
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पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है: यह क्रिया पैर के नर्व पॉइंट्स को उत्तेजित करती है, जिससे पाचन तंत्र मजबूत होता है और कब्ज जैसी समस्याओं में राहत मिलती है.
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नींद की गुणवत्ता में सुधार: सुबह-सुबह घास पर नंगे पांव चलना शरीर को शांत करता है और दिमाग को रिलैक्स करता है, जिससे रात में नींद बेहतर आती है.
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इम्यूनिटी को बूस्ट करता है: प्रकृति के संपर्क में आने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है, जिससे मौसमी बीमारियों से लड़ने की ताकत मिलती है.
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विटामिन D का अच्छा स्रोत: सुबह की धूप में घास पर चलने से शरीर को प्राकृतिक रूप से विटामिन D मिलता है, जो हड्डियों और इम्यून सिस्टम के लिए जरूरी है.
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