खीरा आमतौर पर गर्मी के मौसम में शरीर को ठंडक देने और हाइड्रेट रखने के लिए खाया जाता है. लेकिन क्या बरसात में भी इसका सेवन उतना ही सुरक्षित है?
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बारिश के मौसम में वातावरण में नमी और बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जिससे कुछ खाद्य पदार्थों का पाचन मुश्किल हो जाता है. ऐसे में खीरे जैसी ठंडी तासीर वाली चीज़ें शरीर में असंतुलन पैदा कर सकती हैं.
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आइए जानते हैं कि मॉनसून में खीरा खाने से क्या नुकसान हो सकते हैं और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
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बरसात में वातावरण में नमी और बैक्टीरिया की मात्रा बढ़ जाती है. खीरा ठंडा और पानी युक्त होता है, जिससे बरसात में इसका सेवन गैस, अपच या पेट दर्द की वजह बन सकता है.
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खीरे की तासीर ठंडी होती है. इस मौसम में पहले से ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर रहती है, ऐसे में खीरा खाने से सर्दी-जुकाम या गले में खराश हो सकती है.
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बरसात में सब्जियों और फलों पर बैक्टीरिया जल्दी पनपते हैं. यदि खीरे को अच्छे से धोकर नहीं खाया गया, तो इससे फूड पॉइज़निंग या पेट का संक्रमण हो सकता है.
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कुछ लोगों को इस मौसम में खीरा खाने से एलर्जी, दाने या खुजली जैसी समस्याएं हो सकती हैं, खासतौर पर जिनकी स्किन सेंसिटिव हो.
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खीरे में प्राकृतिक शुगर बहुत कम होती है, लेकिन बरसात के मौसम में शरीर की मेटाबॉलिज़्म धीमी हो जाती है. ऐसे में कुछ मामलों में ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव देखा गया है (हालांकि यह दुर्लभ है).
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सुझाव: खीरा खाने से पहले उसे अच्छी तरह धोएं या नमक-पानी में भिगोकर रखें. ठंडी तासीर की चीज़ों का सेवन सीमित मात्रा में करें. यदि सर्दी, खांसी या एलर्जी की समस्या हो, तो खीरे से परहेज करें.
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