खाद संकट: किसानों की आफत का अंत नहीं, 8 जिलों की ग्राउंड रिपोर्ट में देखें क्या हैं हालात
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले कुछ वक्त से खाद का भारी संकट बना हुआ था, जिसके चलते किसानों को काफी परेशानी हो रही…
ADVERTISEMENT
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में पिछले कुछ वक्त से खाद का भारी संकट बना हुआ था, जिसके चलते किसानों को काफी परेशानी हो रही थी. मगर अब सरकार का दावा है कि किसानों के लिए प्रचुर मात्रा में खाद की रैक जिलों में पहुंच रही हैं.
बता दें कि दीपावली से पहले कई जिलों में खाद केंद्रों पर किसानों की लंबी-लंबी कतारें दिखाई दे रही थीं. सैकड़ों की तादाद में किसान सुबह से ही खाद लेने के लिए लाइन में लग जा रहे थे, लेकिन इनमें से कुछ ही लोगों को खाद मिल पा रही था.
हालात इतने खराब हो गए थे कि खाद के चक्कर में किसानों की जान तक जाने की खबरें सामने आईं. इस बीच खाद के संकट पर सियासत भी खूब हुई और विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेरा.
मौजूदा वक्त में उत्तर प्रदेश में खाद को लेकर क्या स्थिति है, यह जानने के लिए यूपी तक ने राज्य के 8 जिलों में जाकर रिएलिटी चेक किया है. इस दौरान हमें पता चला कि कई जिलों में खाद की आपूर्ति में सुधार हुआ है, लेकिन अधिकांश जिलों में स्थिति अभी भी बहुत अच्छी नहीं है और किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है.
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
बुंदेलखंड के ललितपुर में हालात सुधरे
ललितपुर जिले में आज के समय में खाद के लिए किसान पहले की तरह परेशान नहीं दिख रहे. जिले में व्यापारियों और सहकारी समितियों के पास पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है. दरअसल पिछले दिनों जिले में अचानक बारिश होने की वजह से किसानों ने खेतों में बुवाई के लिए खाद की दुकानों का रुख किया था. एकाएक खाद की डिमांड बढ़ने की वजह से खाद को लेकर जिले में किसानों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा था.
खाद की दुकानों पर किसानों की लंबी-लंबी लाइनें लग रही थीं. इस बीच सड़कों पर हजारों किसानों का प्रदर्शन भी देखने को मिला था. यही नहीं खाद के लिए दर-दर भटक रहे किसानों की मौत की भी खबरें सुर्खियां बनी थीं.
ADVERTISEMENT
फिलहाल खेतों से नमी चले जाने और जिले में खाद की जरूरत के अनुसार ट्रैन से रैक पहुंचा देने की वजह से अब पिछले 5-6 दिनों से किसानों को खाद की समस्या नहीं दिख रही है.
बांदा में सहकारी समिति के कर्मचारियों की हड़ताल के बाद बढ़ा संकट
यूपी के बांदा में पिछले कई महीनों से वेतन न मिलने से सहकारी समिति के कर्मचारी कलम बंद हड़ताल कर धरने पर बैठ गए हैं. जिससे अब किसानों के सामने और बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है. पूरे जिले में कई दर्जन कमर्चारी विकास भवन में वेतन की मांग को धरने पर बैठ गए हैं. किसानों का कहना है बुवाई का समय है और खाद न मिलने से बुवाई में देरी हो रही है.
इटावा में बरकरार है खाद की किल्लत
इटावा में अधिकांश खाद केंद्रों पर पर्याप्त खाद आज भी नहीं है. जिले के किसान लगातार खाद के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं, लेकिन जरूरत के मुताबिक किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. जिस किसान को 5 से 10 बोरी खाद की जरूरत होती है, उसको मात्र 1 या 2 बोरी देकर टरका दिया जा रहा है.
ADVERTISEMENT
उर्वरक केंद्रों पर लगातार डिमांड से कम ही स्टॉक दिया जा रहा है, जिस कारण किसानों को पर्याप्त खाद नहीं मिल रही है. सहायक निबंधक सहकारिता के अनुसार जो खाद प्राइवेट कंपनी को देनी थी वो उपलब्ध न होने की वजह से पूरा लोड सहकारिता पर बढ़ गया है.
जिले के आला अधिकारियों का कहना है कि हम लोग भी अपनी व्यवस्था से अधिक खाद बांट चुके हैं, जितनी जनपद में डिमांड है उसकी आपूर्ति कराने का प्रयास कर रहे हैं.
हरदोई में सुधरे हालात, लेकिन जरूरत के हिसाब से अभी भी नहीं मिल रही है खाद
हरदोई में डीएपी खाद की दिक्कत को देखते हुए और खाद के लिए किसानों की लंबी लाइन के मद्देनजर प्रशासन ने अपनी सक्रियता बढ़ाई है. फिलहाल सहकारी समितियों, पीसीएफ केंद्रों और निजी क्षेत्र में दुकानों पर डीएपी खाद उपलब्ध कराई गई है. मगर सहकारी समितियों और पीसीएफ केंद्रों पर किसानों की खाद लेने के लिए अभी भी लाइन नजर आ रही हैं. जबकि निजी क्षेत्र में डीएपी खाद अब आसानी से मिल रही है.
जिला प्रशासन के मुताबिक, किसानों को उनकी जोतबही के आधार पर खाद मुहैया कराई जा रही है. कृषि विभाग का दावा है कि 5000 मीट्रिक टन से अधिक डीएपी खाद सरकारी और निजी क्षेत्र में उपलब्ध कराई गई है. जबकि बहुत जल्द 6500 मीट्रिक टन से अधिक खाद जिले में उपलब्ध हो जाएगी.
फिलहाल कृषि विशेषज्ञ ने आशंका जताई गई है कि दीपावली की छुट्टी के खाद की मांग बढ़ने से सरकारी केंद्रों पर खाद के लिए मारामारी मच सकती है. वहीं जिला प्रशासन इस बात का दावा कर रहा है कि निजी क्षेत्र से लेकर सरकारी क्षेत्र में भरपूर मात्रा में खाद उपलब्ध है.
फतेहपुर में अभी भी नहीं सुधरे हालात
फतेहपुर जिले में अभी भी खाद की किल्लत से किसानों को जूझना पड़ रहा है और किसानों को लंबी लाइन में खड़े होकर खाद लेने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है, लेकिन उसके बावजूद सभी किसानों को खाद नहीं मिल पा रही है. किसानों को सबसे ज्यादा दिक्कत डीएपी के लिए उठानी पड़ रही है. फतेहपुर जिले में कुल 70 उर्वरक केंद्र बनाए गए हैं और ज्यादातर केंद्रों का यही हाल है.
बिंदकी तहसील क्षेत्र के अमेना गांव के रहने वाले किसान राजेश कुमार ने बताया कि तहसील क्षेत्र के कुंवरपुर रोड स्थित इफको खाद केंद्र में लोगों को लाइन लगाने के बावजूद खाद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों से शिकायत के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है.
वहीं किसान सतेंद्र कुमार निवासी बहरौली का कहना है कि खाद की काफी किल्लत है , लोगों को सुबह से शाम तक केंद्र में खाद के लिए खड़ा होना पड़ता है लेकिन खाद नहीं मिल पाती है.
रायबरेली में सुधरे हालात
फिलहाल रायबरेली में खाद की कमी नहीं दिख रही है. जहां कुछ दिनों पहले लाइन लगाकर भी खाद नहीं मिल पा रही थी, वहीं आज रायबरेली में खाद पर्याप्त मात्रा में है और किसानों को आसानी से उपलब्ध भी है.
कासगंज में अभी भी डीएपी का संकट
डीएपी न मिलने से कासगंज के किसान खासे परेशान और चिंतित हैं, क्योंकि इन दिनों किसानों की रबी की फसल की बुवाई का समय निकलता चला जा रहा है. रबी की फसलों की बुवाई के लिए डीएपी बेहत जरूरी होती है. ऐसे में खाद की उपलब्धता न होने से गेहूं, आलू और सरसों की बुवाई में दिक्कत आ रही है.
हमारी टीम ने क्षेत्रीय सहकारी समिति प्रथम कासगंज पर जाकर पड़ताल की तो यहां डीएपी का स्टॉक खत्म था. हालांकि यहां एनपीके भरपूर मात्रा में थी. किसानों से बातचीत की गई, तो उन्होंने बताया कि रबी की फसल समय से खाद न मिलने से लेट हो रही है.
कन्नौज में खाद की किल्लत बरकरार
कन्नौज में किसानों के लिए खाद की किल्लत दूर नहीं हो रही है. यहां पर जिस मात्रा में किसानों को डीएपी और एनपीके खाद चाहिए, उनको उपलब्ध नहीं हो पा रही है. बताते चलें कि जिले में इस समय करीब 70 से 80 पर्सेंट किसान आलू की बुवाई करते हैं, जिसके लिए एनपीके और डीएपी की किसानों को जरूरत होती है. मगर सहकारी समितियों पर खाद उपलब्ध न होने के चलते यहां के किसान परेशान हैं.
(ललितपुर से मनीष सोनी, हरदोई से प्रशांत पाठक, इटावा से अमित तिवारी, कासगंज से आर्येंदर सिंह, बांदा से सिद्धार्थ गुप्ता, फतेहपुर से नितेश, कन्नौज से नीरज और रायबरेली से शैलेंद्र सिंह के इनपुट्स के साथ)
खाद की लाइन में लगे किसान की मौत: ट्रेन से ललितपुर पहुंचीं प्रियंका, पीड़ितों से मिलीं
ADVERTISEMENT