मायावती ने अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस पर दी श्रद्धांजलि, मुफ्त अनाज योजना पर कसा तंज
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने बुधवार, 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर के 67वें परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.
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Mayawati News: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की मुखिया मायावती ने बुधवार, 6 दिसंबर को डॉ. भीमराव अंबेडकर के 67वें परिनिर्वाण दिवस पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखते हुए मायावती ने कहा कि वह संविधान के निर्माता, भारतरत्न बाबा डॉ. अंबेडकर को आज उनके परिनिर्वाण दिवस के मौक पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित कर रही हैं.
‘X’ पर मायावती न कहा, “लगभग 140 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत के गरीबो, मजदूरों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों सहित उपेक्षित बहुजनों के मसीहा व देश के मानवतावादी समतामूलक संविधान के निर्माता भारतरत्न परमपूज्य डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर को आज उनके परिनिर्वाण दिवस पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित.”
1. लगभग 140 करोड़ की विशाल आबादी वाले भारत के ग़रीबों, मज़दूरों, दलितों, आदिवासियों, अतिपिछड़ों सहित उपेक्षित बहुजनों के मसीहा व देश के मानवतावादी समतामूलक संविधान के निर्माता भारतरत्न परमपूज्य बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर को आज उनके परिनिर्वाण दिवस पर अपार श्रद्धा-सुमन अर्पित।
— Mayawati (@Mayawati) December 6, 2023
उन्होंने आगे कहा, “किंतु देश के 81 करोड़ से अधिक गरीब लोगों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज का जीवन बना देने जैसी दुर्दशा ना यह आजादी का सपना था और ना ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुःखद.”
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2. किन्तु देश के 81 करोड़ से अधिक ग़रीब लोगों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज का जीवन बना देने जैसी दुर्दशा ना यह आज़ादी का सपना था और ना ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुःखद।
— Mayawati (@Mayawati) December 6, 2023
बकौल मायावती, “देश में रोटी-रोजी के अभाव एवं महंगाई की मार के कारण आमदनी अठन्नी भी नहीं पर खर्चा रुपया होने के कारण गरीब, मजदूर, छोटे व्यापारी, किसान, मध्यम वर्ग सहित सभी मेहनतकश समाज की हालत त्रस्त व चिन्तनीय, जबकि संविधान को सही से लागू करके उनकी हालत अब तक काफी संवर जानी चाहिए थी.”
2. किन्तु देश के 81 करोड़ से अधिक ग़रीब लोगों को पेट पालने के लिए सरकारी अन्न के मोहताज का जीवन बना देने जैसी दुर्दशा ना यह आज़ादी का सपना था और ना ही उनके लिए कल्याणकारी संविधान बनाते समय बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने सोचा था, यह स्थिति अति-दुःखद।
— Mayawati (@Mayawati) December 6, 2023
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गौरतलब है कि बाबासाहेब आंबेडकर का निधन छह दिसंबर 1956 को नई दिल्ली में हुआ था.
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