लखीमपुर खीरी हिंसा: घटना को लेकर पूछताछ में अंकित दास और आशीष मिश्रा ने क्या बताया?

संतोष शर्मा

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लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में शामिल काफिले की 3 गाड़ियों में सबसे पीछे चलने वाली स्कॉर्पियो लखीमपुर के ठेकेदार की नहीं, बल्कि आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के करीबी रिश्तेदार की बताई जा रही है जिसे आशीष का ड्राइवर चला रहा था.

इस बीच SIT ने 14 अक्टूबर को, आशीष मिश्रा और उनके करीबी अंकित दास को घटनास्थल पर ले जाकर 3 अक्टूबर के पूरे घटनाक्रम को समझने की कोशिश की.

वारदात को समझने के लिए SIT ने क्राइम सीन रीक्रिएशन किया. SIT ने घटनास्थल पर अंकित दास, उनके गनर लतीफ और ड्राइवर शेखर को उतारा और समझने की कोशिश की कि घटना के बाद वे लोग कैसे भागे. पुलिस ने जब आशीष मिश्रा से घटनास्थल के बारे में जानकारी लेनी शुरू की तो आशीष अपने बयान पर कायम रहे कि वह घटनास्थल पर थे ही नहीं तो उनको नहीं मालूम कहां क्या हुआ था. इस मामले में पुलिस इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस के सहारे भी सबूत इकट्ठा करने में जुटी है.

पूछताछ में बताया गया कि थार जीप सामने से आ रही बस के चलते नहीं निकल पाई और वो सड़क के किनारे पलट गई. पीछे जिस फॉर्च्यूनर में अंकित दास सवार थे वह भी आगे जाकर पलट गई लेकिन मौके से स्कॉर्पियो निकल गई.

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अंकित दास ने पूछताछ में बताया कि गाड़ी पलटने के बाद वह अपने गनर लतीफ के साथ खेतों से होकर भागे थे, इस दौरान उन्होंने 3 लोगों को कॉल भी की थी. मिली जानकारी के अनुसार, अंकित दास ने बयान दिया कि वह सबसे पहले पुलिस वालों के पास पहुंचे थे, लेकिन जब उनको जानकारी मिली कि तिकुनिया में लोगों ने आक्रोशित होकर शेखर और हरिओम मिश्रा समेत कई लोगों को पीट-पीटकर मार डाला है तो वह वहां से भाग गए.

पुलिस अंकित दास के बयान के आधार पर अब उन 3 लोगों से भी पूछताछ करेगी, जिनको घटना के बाद अंकित ने कॉल की थी.

घटना के वक्त काफिले में शामिल तीन गाड़ियों में सबसे आगे थार जीप आशीष मिश्रा के पिता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा की थी, पीछे चल रही फॉर्च्यूनर अंकित दास की थी जो उनकी फर्म के नाम पर रजिस्टर्ड है. पुलिस को छानबीन में पता चला है कि सबसे पीछे चल रही स्कार्पियो ठेकेदार की नहीं, बल्कि आशीष मिश्रा के करीबी रिश्तेदार की थी और उसको आशीष मिश्रा का ड्राइवर शिवकुमार चला रहा था.

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अंकित दास के ड्राइवर शेखर और गनर लतीफ से हुई पूछताछ में इस तीसरी गाड़ी की असलियत सामने आई है. दरअसल शक के दायरे में आई एक ठेकेदार की स्कॉर्पियो का नंबर और रंग घटना के वक्त मौजूद स्कॉर्पियो से मिलता जुलता है. स्थानीय लोगों को भी लगा कि पीछे चल रही स्कार्पियो अंकित दास के करीबी ठेकेदार की थी, लेकिन उस ठेकेदार की स्कॉर्पियो का शीशा पीछे से टूटा नहीं था, जबकि असली स्कॉर्पियो का शीशा पीछे से टूटा हुआ है जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है.

72 घंटे की पुलिस कस्टडी रिमांड पर भेजे गए आशीष मिश्रा अपने बयान पर कायम रहे कि वह घटनास्थल पर मौजूद नहीं थे, उन्हें घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है. लिहाजा पुलिस ने रिमांड खत्म होने से कई घंटे पहले ही उन्हें लखीमपुर जेल में दाखिल कर दिया. मगर अंकित दास और उसके गनर लतीफ और ड्राइवर शेखर से पूछताछ के आधार पर पुलिस को कई अहम सुराग हासिल हुए हैं.

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