कानपुर: फरियाद लेकर आए बुजुर्ग के फटे जूतों को देखकर सिपाही ने खरीद लाए नए जूते, अपने हाथों से पहनाया
कानपुर जिले में पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है. पुलिस कमिश्नर ऑफिस में अपने मकान की शिकायत लेकर पहुंचे 80 वर्षीय बुजुर्ग के फटे…
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कानपुर जिले में पुलिस का मानवीय चेहरा सामने आया है. पुलिस कमिश्नर ऑफिस में अपने मकान की शिकायत लेकर पहुंचे 80 वर्षीय बुजुर्ग के फटे जूते देखकर एक सिपाही का दिल पसीज गया. बुजुर्ग अंदर शिकायत एप्लीकेशन लेकर जब तक अधिकारियों से मिलता रहा उतनी देर में उसके लिए कचहरी के पास एक जूते की दुकान से नया जूता गार्ड सिपाही खरीद लाया. बुजुर्ग जैसे ही शिकायत करके बाहर लाठी लेते हुए निकले उन्हें सिपाही निशांत तोमर के हाथों में नए जूते दिखाई दिए.
बुजुर्ग राजबहादुर जब तक पूरा मामला समझ पाते हैं, अपनी धुंधली आंखों से कुछ देख सुन पाते, उससे पहले सिपाही दौड़ कर उनके लिए कुर्सी लाया. कुर्सी पर बुजुर्ग को बैठाकर अपने हाथों से उनके जूतों को उतारा और अपने हाथों से उन्हें नए जूते पहना दिए.
बुजुर्ग राजबहादुर कानपुर सिटी से 60 किलोमीटर दूर साढ़ थाने के दूरदराज गांव से अपनी शिकायत देकर पुलिस कमिश्नर ऑफिस पहुंचे थे. उनका कहना था कि उनके मकान पर कोई जबरदस्ती कब्जा करना चाहता है. इसी दौरान एक मानवीय पहल देखने को मिली. बुजुर्ग जहां सिपाही को आशीर्वाद देते नजर आए.
वहीं, सिपाही निशांत तोमर ने कहा,
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“यह 4 दिन पहले भी आए थे, तब इनके फटे जूते मैंने देखा था. मेरे मन में आया था कि मैं कुछ मदद करूं, लेकिन यह तुरंत चले गए थे. इसलिए आज जैसे ही एप्लीकेशन लेकर आए और ऑफिस के अंदर गए तो मुझे मौका मिल गया. मैं दौड़कर जूते की दुकान से जूते ले आया. इनके जूते चारों तरफ से चिथड़े हैं. मेरे मन को लगा कि उन्हें एक जूता पहना दिया जाए. वे मेरे पिता की तरह है.”
बुजुर्ग राजबहादुर जो जूता पहने थे वास्तव में वो इतनी जगह से फटा है कि अगर कोई मोची सिलना भी चाहे तो चाह कर भी उसमें पैबंद नहीं लगा सकता. मगर कहते हैं कि इंसानियत के पैबंद को किसी सुई या मोची की जरूरत नहीं होती. उसे सिर्फ दिल से महसूस करना होता है. सिपाही निशांत तोमर ने इस इंसानियत को महसूस किया.
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