रेप पीड़िता को बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए DNA टेस्ट पर मजबूर नहीं किया जा सकता: HC

भाषा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने गुरुवार को व्यवस्था दी कि रेप के मामले में पीड़िता को उसके बच्चे के पिता का पता लगाने के लिए डीएनए परीक्षण से गुजरने को मजबूर नहीं किया जा सकता.

अदालत ने इसके साथ ही रेप के नाबालिग आरोपी की याचिका पर पीड़िता के बच्चे का डीएनए परीक्षण कराने के पॉक्सो अदालत के आदेश को दरकिनार कर दिया.

जस्टिस संगीता चंद्रा की बेंच ने आरोपी की याचिका के खिलाफ दायर पुनरीक्षण याचिका को अनुमति देते हुए यह आदेश पारित किया.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

उन्होंने कहा कि पॉक्सो अदालत के सामने सवाल यह था कि क्या जिस अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया उसने वाकई रेप किया था, न कि यह पता लगाना कि उस वारदात के परिणामस्वरूप पैदा हुए बच्चे का पिता कौन है.

गौरतलब है कि सुल्तानपुर जिले में 17 दिसंबर 2017 को एक महिला ने अपनी बेटी से रेप किए जाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस ने इस मामले में एक नाबालिग लड़के के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.

किशोर न्याय परिषद के समक्ष मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी ने ‘रेप पीड़िता’ के बच्चे का डीएनए परीक्षण कराए जाने से संबंधित अर्जी दाखिल की थी लेकिन परिषद ने पिछली 25 मार्च को उसकी यह कहते हुए उसकी अर्जी खारिज कर दी थी कि यह याचिका केवल बचाव की प्रक्रिया के दौरान ही दाखिल की जा सकती है.

ADVERTISEMENT

किशोर न्याय परिषद के इस आदेश के खिलाफ आरोपी ने पॉक्सो अदालत में याचिका दाखिल की थी. इस अदालत ने 25 जून 2021 को एक याचिका दाखिल कर बच्चे का डीएनए टेस्ट कराए जाने का आदेश दिया था. ‘पीड़िता’ की मां ने इसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दाखिल की थी.

इलाहाबाद HC की फटकार, ‘गन्ना किसानों के ब्याज का भुगतान करें या गन्ना आयुक्त हाजिर हों’

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT