यूपी चुनाव: 2022 में किसकी होगी कुर्सी, तय करेगा पूर्वांचल! BJP के लिए बहुत कुछ दांव पर

अभिषेक मिश्रा

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

यूपी में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं, सियासत की जोर-आजमाइश बढ़ती नजर आ रही है. 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए सत्ता पक्ष से बीजेपी और विपक्ष में समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी जैसे दल कोई कोर-कसर छोड़ते नहीं दिख रहे. हर बार की तरह इस बार भी यूपी की सत्ता में पूर्वांचल सेंट्रल पॉइंट बनता नजर आ रहा है. पूर्वांचल में इस बार बीजेपी का बहुत कुछ दांव पर लगा है और शायद यही वजह है कि पार्टी पीएम मोदी के चेहरे को बार-बार यूपी में उतार चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रही है.

यूपी सरकार ने केंद्र के साथ जुगलबंदी कर जुलाई से लेकर अबतक यूपी में पीएम मोदी की 6 पब्लिक मीटिंग आयोजित करवाई हैं. इनका पूरा फोकस पूर्वांचल केंद्रित नजर आ रहा है. पीएम ने 15 जुलाई को अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी का दौरा किया था. इसके बाद उन्होंने 14 सितंबर को अलीगढ़ दौरे के दौरान राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखी. पीएम लखनऊ में 5 अक्टूबर को आयोजित कार्यक्रम में भी शामिल हुए. इसके बाद पीएम 20 अक्टूबर को फिर कुशीनगर पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्वांचल के लिए इंटरनेशनल एयरपोर्ट के उद्घाटन के साथ 478.74 करोड़ की परियोजनाएं भी प्रदेश को सौंपीं.

पीएम ने इस दौरान न सिर्फ विकास के कार्यों को पटल पर रखा बल्कि इनके आधार पर मिशन 2022 को सफल बनाने की अपील भी की. इसके पांच दिन बाद पीएम एक बार फिर यूपी आए. इस बार सोमवार, 25 अक्टूबर को उन्होंने सिद्धार्थनगर और वाराणसी का दौरा किया. पीएम ने 2234 करोड़ की लागत से बने सिद्धार्थनगर समेत 9 नए मेडिकल कॉलेजों (देवरिया, एटा, फतेहपुर, हरदोई, गाजीपुर, मिर्जापुर, प्रतापगढ़ और जौनपुर में नया मेडिकल कॉलेज) का उद्घाटन किया.

इसी दिन पीएम ने वाराणसी से पीएम आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन को लॉन्च किया. इसके साथ ही उन्होंने वाराणसी के लिए 5200 करोड़ रुपये से ज्यादा की 32 विकास परियोजनाओं का भी उद्घाटन भी किया. पीएम ने मेहंदीगंज में जनसभा को संबोधित भी किया. यानी जुलाई से लेकर अक्टूबर तक, कुल 6 बार पीएम यूपी पहुंचे और पूरा फोकस पूर्वांचल पर नजर आया.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

बीजेपी के लिए पूर्वांचल क्यों है जरूरी, यहां समझिए

बीजेपी के लिए पूर्वांचल इतना जरूरी क्यों बना है, इसका जवाब 2017 विधानसभा चुनावों के नतीजे में छिपा है. पूर्वांचल में आने वाली 164 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 2017 के चुनावों में 115 सीटों पर जीत हासिल की थी. एसपी को सिर्फ 17 सीटें, बीएसपी को 14 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं. इसके अलावा अन्य के खाते में 16 सीटें आई थीं. बीजेपी ने जीत के इसी आंकड़े को दोहराने के लिए एक बार फिर पूर्वांचल पर फोकस बढ़ाया है. इसके लिए पार्टी ने छोटे दलों का साथ भी लिया है.

ADVERTISEMENT

बीजेपी के पूर्वांचल मिशन के राह की सबसे बड़ी बाधा राजभर?

हालांकि बीजेपी के पूर्वांचल मिशन के सामने पिछले दिनों एक बड़ी राजनीतिक चुनौती खड़ी हो गई है. यह चुनौती पेश की है सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के मुखिया ओम प्रकाश राजभर ने. राजनीतिक विश्लेषक रतन मणि लाल बताते हैं कि पूर्वी यूपी की कई सीटों पर राजभर वोटों की संख्या काफी अहम है. हालांकि बीजेपी के नेता लगातार इस बात का दावा कर रहे हैं कि ओम प्रकाश राजभर चाहे कहीं भी चले जाएं, बीजेपी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. आपको बता दें कि 27 अक्टूबर को राजभर मऊ में अखिलेश यादव संग मंच साझा करने वाले हैं.

अखिलेश यादव के संग प्रियंका गांधी, दूसरे छोटे दल और ओवैसी भी पूर्वांचल में कदम जमाने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे का इस्तेमाल कर पूर्वांचल में अपनी स्थिति को मजबूत करने की कोशिशों में जुटी है. बीजेपी ने पूर्वांचल में अपने सहयोगियों को भी भरोसे में लेने की शुरुआत कर दी है. इसी के तहत अपना दल की नेता अनुप्रिया पटेल को केंद्र में मंत्री बनाया गया है. निषाद पार्टी के संजय निषाद भी पूर्वांचल से ही आते हैं, जो बीजेपी के लिए अति पिछड़ा वोटों की घेरेबंदी में अहम हैं.

किसान आंदोलनों की वजह से बीजेपी को पश्चिमी यूपी में समस्या का सामना करना पड़ रहा है. लखीमपुर खीरी कांड जैसे मामलों ने भी बीजेपी की मुश्किलें बढ़ाई हैं. ऐसे में सीटों को लेकर नुकसान की आशंका को देखते हुए भी बीजेपी ने पूर्वांचल बेल्ट पर अपना फोकस बढ़ा दिया है.

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT