UP चुनाव: करहल सीट पर आमने सामने हैं मुलायम के बेटे-शिष्य, जानिए यहां का जातीय समीकरण
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर प्रदेश, देश और दुनिया की नजर लगी हुई है उन सीटों में सबसे महत्वपूर्ण सीट समाजवादी…
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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर प्रदेश, देश और दुनिया की नजर लगी हुई है उन सीटों में सबसे महत्वपूर्ण सीट समाजवादी पार्टी (एसपी) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के ‘गढ़’ मैनपुरी की करहल सीट है. वजह साफ है, इस बार करहल सीट के दंगल में एक तरफ मुलायम सिंह यादव के बेटे और एसपी के अध्यक्ष अखिलेश यादव हैं, तो दूसरी तरफ उनके शिष्य और कभी सिपहसालार रहे केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता एसपी सिंह बघेल हैं. इस बार बेटा और शिष्य आमने सामने हैं. ऐसे में करहल का जातीय समीकरण और इतिहास को जानना बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है.
मैनपुरी, भोगांव, किसनी और करहल ये 4 विधानसभा सीटें मैनपुरी जिले में आती हैं. अब अगर मैनपुरी जिले के जातीय समीकरण की बात करें तो करहल में सर्वाधिक 1 लाख 35000 यादव वोटर, 18000 बघेल, 35000 शाक्य, 12000 लोधी, 18000 मुस्लिम, 18000 ब्राह्मण और 25000 दलित वोटर हैं. साल 2017 के चुनाव में इस सीट पर एसपी के सोबरन सिंह यादव ने बीजेपी की रमा शाक्य को हराकर जीत दर्ज की थी.
यूं तो मुलायम सिंह यादव के परिवार का पुश्तैनी नाता इटावा के सैफई से है, लेकिन करहल उनके जन्म स्थली, कर्म स्थली या हृदय स्थली से कम भी नहीं है. करहल वह जगह है जहां से मुलायम सिंह यादव की राजनीति की शुरुआत हुई. यहीं के जैन इंटर कॉलेज में मुलायम सिंह यादव शिक्षक थे. इसी करहल के नेता नत्थू सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव के अंदर पहलवान के साथ-साथ राजनीतिक पहलवानी के गुण भी देखे और उनको सबसे पहले करहल से ही चुनाव लड़वाया.
करहल की जनता ने हमेशा ही लीक से हटकर वोट किया. देश में जब कांग्रेस पार्टी की लहर थी तो यहां प्रजा सोशलिस्ट पार्टी, स्वतंत्र पार्टी, भारतीय क्रांति दल और जनता पार्टी का सिक्का चलता रहा. करहल में कांग्रेस सिर्फ एक बार 1980 में चुनाव जीती और यही हाल बीजेपी का था. बीजेपी भी सिर्फ एक बार साल 2002 में यहां से चुनाव जीती और वह भी सोबरन सिंह यादव ने ही यहां से बीजेपी का खाता खोला. वही सोबरन सिंह यादव जिन्होंने 2017 में एसपी के टिकट से चुनाव जीता और अब 2022 में अखिलेश यादव के लिए अपनी सीट छोड़ दी है.
करहल का चुनाव इस बार भी कम रोचक नहीं है, क्योंकि एक तरफ मुलायम सिंह यादव के बेटे अखिलेश यादव मैदान में हैं, तो दूसरी तरफ एसपी सिंह बघेल ताल ठोंक रहे हैं. एसपी सिंह बघेल वह शख्स हैं, जो कभी मुलायम सिंह यादव के पीएसओ हुआ करते थे, जिनको मुलायम सिंह यादव ने ही राजनीति के गुर सिखाए थे और पहली बार चुनाव लड़वाया और जितवाया भी था. यानी एक तरफ बेटा है तो दूसरी तरफ शिष्य, दोनों की परीक्षा भी इस बार करहल की जनता के सामने होगी।
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