जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के साथ क्यों नहीं हो रहे यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव? ये हैं वजहें
जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में चुनाव होने के बावजूद उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर उपचुनाव क्यों नहीं हो रहे हैं? जानिए इसके पीछे की वजहें और राजनीतिक समीकरण।
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Uttar Pradesh By-election: शुक्रवार को जब चुनाव आयोग ने जब विधानसभा चुनावों के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस का ऐलान किया, तो लगा कि यूपी में उपचुनावों का शेड्यूल भी आएगा. पर चुनाव आयोग ने सिर्फ जम्मू-कश्मीर और हरियाणा में विधानसभा चुनावों के शेड्यूल का ऐलान किया है. इस ऐलान के बाद चर्चाएं शुरू हो गई हैं कि आखिर यूपी की 10 विधानसभा सीटों और महाराष्ट्र के चुनावों का ऐलान क्यों नहीं हुआ. माना जा रहा है कि बीजेपी के लिए यूपी और महाराष्ट्र में सियासी चुनौतियां कुछ ज्यादा ही हैं. यूपी में हाल में ही लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के इंडिया गठबंधन ने बीजेपी और एनडीए को शिकस्त दी है. इसी तरह महाराष्ट्र में भी एनडीए को महायुती (एनसीपी-शरद पवार, शिवसेना-उद्धव और कांग्रेस का गठबंधन) से हार का सामना करना पड़ा.
2009 से ही महाराष्ट्र का चुनाव हरियाणा के साथ ही होता आया है. वैसे चुनाव आयोग ने इस सवाल का जवाब भी देने की कोशिश की है, कि आखिर उपचुनावों और महाराष्ट्र के चुनाव का ऐलान इस बार क्यों नहीं किया गया. आइए आपको इसकी वजहें बताते हैं.
चुनाव आयोग का तर्क है कि यूपी में 10 विधानसभा सीटों और केरल के वायनाड की लोकसभा सीट पर उपचुनावों के बीच में मौसम की अड़चन है. मॉनसून और मौसमी दुश्वारियां बाधक बन रही हैं. खासकर वायनाड में जहां पिछले दिनों एक बड़ी प्राकृतिक आपदा में सैकड़ों लोगों ने जान गंवा दी. चुनाव आयोग के मुताबिक कुल 47 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. इनमें से 46 विधानसभा सीटें हैं और एक लोकसभा सीट. चुनाव आयोग ने कहा है कि जैसे ही मौसम की स्थितियां अनुकूल हो जाएंगी, यहां भी चुनाव करा लिए जाएंगे. चुनाव आयोग का दावा है कि इन जगहों पर 6 महीने की अवधि में ही उपचुनाव करा लेंगे.
यूपी की इन 10 सीटों पर होना है उपचुनाव
उत्तर प्रदेश की जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें कटेहरी (अंबेडकर नगर), करहल (मैनपुरी), मिल्कीपुर (अयोध्या), मीरापुर (मुजफ्फरनगर), गाजियाबाद, मझवां (मिर्जापुर), सीसामऊ (कानपुर नगर), खैर (अलीगढ़), फूलपुर (प्रयागराज) और कुंदरकी (मुरादाबाद) शामिल हैं. इन सीटों में से नौ सीट लोकसभा चुनाव में विधायकों के सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई हैं, जबकि सीसामऊ सीट सपा के इरफान सोलंकी को आपराधिक मामले में जेल की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता रद्द होने के कारण खाली हुई है.
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किस सीट पर किसका था कब्जा?
खाली हुई 10 सीटों में से पांच सीसामऊ, कटेहरी, करहल, मिल्कीपुर और कुंदरकी सपा के पास थीं. वहीं, फूलपुर, गाजियाबाद, मझवां और खैर भाजपा के पास थीं. मीरापुर सीट भाजपा के सहयोगी राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के पास थी. करहल सीट सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कन्नौज से सांसद चुने जाने के कारण खाली हुई है, जबकि कटेहरी (अंबेडकर नगर) सीट पार्टी के लालजी वर्मा के अंबेडकर नगर लोकसभा सीट से चुने जाने के कारण खाली हुई है.
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