अखिलेश लेकर आए अब ये फॉर्मूला, ‘M-Y’ से आगे बढ़कर नई सोशल इंजीनियरिंग को धार देने की कोशिश

कुमार अभिषेक

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UP Political News: लोकसभा चुनाव 2024 के पहले जिस ’85:15 फॉर्मूले’ की बात सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने उठाई थी, उसे पर पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने अपने संगठन में लागू कर दिया है. दरअसल, रविवार शाम समाजवादी पार्टी ने 64 सदस्यों के राष्ट्रीय संगठन पदाधिकारियों का ऐलान किया, जिनमें 15 महासचिव, 20 राष्ट्रीय सचिव, 24 कार्यसमिति के सदस्य बनाए गए हैं. जबकि 4 विशेष आमंत्रित सदस्य हैं.

आपको बता दें कि सपा की 64 लोगों की नयी टीम में 11 यादव और 10 मुस्लिम चेहरे शामिल हैं, जो लगभग 33 फीसदी होते हैं. इसमें 10 चेहरे सवर्ण जाति से हैं, जिनमें चार ब्राह्मण और दो ठाकुर हैं. वहीं, 6 दलित चेहरे और एक आदिवासी भी चेहरा है. लगभग 40 फीसदी से अधिक गैर यादव ओबीसी चेहरे हैं. अखिलेश यादव ने अति पिछड़ी जातियों पर ज्यादा फोकस रखा है, जिनमें पाल, निषाद, मौर्य, कुशवाहा और कुर्मी बिरादरी को तवज्जो दी गई है.

यह अखिलेश यादव की नई सोशल इंजीनियरिंग बताई जा रही है, जिसमें उन्होंने मुस्लिम और यादव के अपने पुराने कॉन्बिनेशन से आगे जाते हुए इस बार दलित, ओबीसी और ‘एमवाई’ का कॉन्बिनेशन बनाने की कोशिश की है.

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संगठन को देखें तो अखिलेश यादव की पूरी कोशिश गैर यादव ओबीसी गोलबंदी पर फोकस है, जिसके साथ दलितों को भी जोड़ा गया है. दलित बिरादरी में खासकर पासी समुदाय को ज्यादा तवज्जो दी गई है. समाजवादी पार्टी को ऐसा लगता है कि दलितों वर्ग की उनके साथ जुड़ने की ज्यादा संभावनाएं हैं.

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले समाजवादी पार्टी की तरफ से स्वामी प्रसाद मौर्य ने 85 बनाम 15 की लड़ाई बताई थी. जबकि योगी आदित्यनाथ ने इसे 80 बनाम 20 की लड़ाई कहा था. अखिलेश यादव के बनाए इस संगठन को देखकर साफ लगता है कि अब अखिलेश यादव पूरी तरीके से 85:15 के फॉर्मूले पर आ चुके हैं.

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