अखिलेश को अगर पिछड़े वर्ग की चिंता थी तो उन्होंने अपना वकील क्यों नहीं खड़ा किया: राजभर

सत्यम मिश्रा

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उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में ओबीसी रिजर्वेशन को लेकर उत्तर प्रदेश में जंग छिड़ी हुई है. ऐसे में तमाम पार्टियां अब ओबीसी वर्ग की हितैषी बन रही है. इस बीच सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (एसबीएसपी) के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने यूपी तक से बातचीत की है.

उन्होंने बताया कि पिछड़ों के लिए जो आरक्षण सरकार ने बनाया उसमें कहीं ना कहीं चूक रह गई है, जिसकी वजह से ऐसा हुआ, जिसको सरकार ने भी स्वीकार किया है. कोर्ट का जो फैसला आया उसके बाद सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया.

बता दें कि पिछले दिनों इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निकाय चुनाव को लेकर यूपी सरकार की अधिसूचना के मसौदे को खारिज कर दिया था. हाई कोर्ट ने ओबीसी को आरक्षण दिए बगैर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का आदेश दिया था.

यूपी सरकार ने बुधवार को निकाय चुनावों में ओबीसी को आरक्षण देने के लक्ष्य से पांच सदस्यीय विशेष पिछड़ा वर्ग आयोग का गठन किया है.

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ओम प्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) ने कहा कि अब निकाय चुनाव 6 महीने के लिए टल चुका है. अब चुनाव करवाने में 6  महीना चला जाएगा. आप चाहे कोई जितना भी कोशिश कर लें चुनाव 6 महीने के लिए टल चुका है, क्योंकि जो कमेटी बनी है वह 75 जिलों का सर्वे करेगी और 1 दिन में 75 जिलों का सर्वे नहीं हो पाएगा. ऐसे में कागज पत्र तैयार करना सारी प्रक्रियाओं में समय लगेगा, जिसमें 6 माह का समय लगेगा.

वहीं, समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) द्वारा सरकार बनने पर 3 माह के अंदर जाति जनगणना कराने के बयान पर राजभर ने कहा कि 5 साल के लिए अखिलेश यादव की सरकार पहले थी. वह मुख्यमंत्री बने थे तो आखिर वह जाति जनगणना क्यों नहीं करा पाए. जनता ने तो सपा को 4 बार मौका दिया. खुद अखिलेश को 5 साल का मौका दिया था. उस समय उनको नहीं याद आई कि जातिगत जनगणना करानी चाहिए. अब उनको इसकी याद आ रही है.

राजभर ने आगे कहा कि जब अखिलेश यादव की सरकार थी तब प्रमोशन में आरक्षण समाप्त करने की बात याद आ गई थी. हाई कोर्ट ने आदेश दिया था कि 27% आरक्षण का लाभ 12 जातियां उठा रही हैं, इसको बांट करके सबको लाभ मिलें और उत्तर प्रदेश की सपा सरकार इसकी व्यवस्था बनाए, लेकिन अखिलेश यादव ने नहीं किया था.

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सुभासपा चीफ ने कहा कि दलित आरक्षण तो खुद ही अखिलेश यादव ने खत्म किया है. लाखों लोग जो सिपाही से दरोगा बन गए, लेखपाल से तहसीलदार बन गए,अखिलेश ने प्रमोशन में आरक्षण समाप्त किया तब डिमोशन हो गया. अखिलेश ने तो खुद यह सब किया है और अब दूसरे को क्या नसीहत दे रहे हैं.

राजभर ने कहा कि वह भी आरक्षण मसले को लेकर जो हाई कोर्ट ने रद्द किया है उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट जा रहे हैं. उनके वकील अजय सिंह इसकी लड़ाई लड़ेंगे और फाइल लेकर तैयार हैं.

एसबीएसपी चीफ ने कहा कि अखिलेश को अगर इतनी ही पिछड़े वर्ग की चिंता थी तो उन्होंने अपना वकील कोर्ट में क्यों नहीं खड़ा किया. अखिलेश यादव सदन के नेता हैं.

राजभर ने यह भी कहा कि मैं सरकार से कहना चाहता हूं कि आपने एक और आयोग गठन किया था. पूर्व रिटायर राघवेंद्र सिंह के नेतृत्व में न्यायिक समिति बनाई थी पिछड़े वर्ग के आरक्षण के 27 परसेंट बंटवारे को लेकर, उसको सबमिट कर दीजिए ताकि उसका परीक्षण हो जाए और फिर वह लागू हो जाए. जो कोर्ट में गलती हुई है वह स्थानीय नेताओं के दबाव में हुई है. अगर जिलों से रिपोर्ट सही मंगाई गई होती तो ऐसा न हुआ होता.

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