2024 के चुनाव में BJP कैसे लगाएगी हैट्रिक? एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में PM मोदी ने बताया

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PM Modi Exclusive Interview: अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियों के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंडिया टुडे को एक्सक्लूसिव इंटरव्यू दिया है. इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरपर्सन और एडिटर-इन-चीफ अरुण पुरी, वाइस चेयरपर्सन कली पुरी और ग्रुप एडिटोरियल डायरेक्टर (पब्लिशिंग) राज चेंगप्पा को दिए इंटरव्यू में पीएम मोदी ने 2024 के चुनावों को लेकर खास बातचीत की है. पीएम मोदी ने बताया है कि आखिर ऐसी कौन सी वजहें हैं, जिनसे 2024 में भी लोग बीजेपी को ही चुन सकते हैं. पीएम ने ‘परिवारवाद’ पर भी हमला बोला है. उन्होंने उस ‘मोदी गारंटी’ की भी बात की है, जो हाल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में काफी चर्चा में रही. राज्यों में बीजेपी ने पीएम मोदी का चेहरा आगे कर मोदी गारंटी पर चुनाव लड़ा था.

पढ़िए पीएम मोदी के इस खास इंटरव्यू का संक्षिप्त अंश…

सवाल: भाजपा इन कथित परिवारवादी पार्टियों से अलग कैसे है?

जवाब: “परिवारवादी पार्टियों को ऐसे लोकतांत्रिक मंथन में कठिनाई लगती है. भाजपा में एक ही समय में नेतृत्व की कई पीढ़ियों को तैयार की क्षमता है.आप भाजपा के अध्यक्षों पर नजर डालिए तो हर कुछ वर्षों में नए-नए चेहरे नजर आएंगे. हमारी कैडर आधारित पार्टी स्पष्ट मिशन लेकर चलती है. हम सभी ने जमीनी स्तर के कार्यकर्ता के रूप में शुरुआत की और समर्पण और कड़ी मेहनत के दम पर आगे बढ़े हैं. इसी प्रतिबद्धता की वजह से देश, खासकर युवा भाजपा के साथ एक मजबूत जुड़ाव महसूस करते हैं. लोकतंत्र में नई पीढ़ी और नए खून को अवसर देना जरूरी है. यह लोकतांत्रिक मंथन ही लोकतंत्र को जीवंत बनाता है. यह मंथन ही हमारी पार्टी को जीवंत बनाता है. हमारे कार्यकर्ताओं के भीतर आकांक्षाओं और आशाओं को जगाए रखता है. उन्हें लगता है कि वे भी अपनी मेहनत से पार्टी में आगे बढ़ सकते हैं. हमारी पार्टी को अलग-अलग प्रयोग करने की आदत है. गुजरात में भी हमने मंत्रालयों में सभी नए चेहरों को चुना. दिल्ली में हमने स्थानीय निगम चुनावों में सभी नए चेहरों को चुना.”

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सवाल: भाजपा ने हाल ही में जीते गए तीन राज्यों में नए चेहरों का चयन किया है. आपने पीएम बनने के बाद यह ट्रेंड शुरू किया है. इसके पीछे की सोच क्या है?

जवाब: “यह कोई नया चलन नहीं है. असल में भाजपा के अंदर मैं खुद इस परंपरा का सबसे अच्छा उदाहरण हूं. जब मैं गुजरात का सीएम बना, तो मेरे पास पहले से कोई प्रशासनिक अनुभव नहीं था और मैं विधानसभा के लिए भी नहीं चुना गया था. हां, वैसे यह एक हालिया परंपरा लग सकती है, क्योंकि आज अधिकतर दूसरी पार्टियां परिवारवादी (वंश-आधारित) पार्टियां हैं.”

सवाल: बीजेपी किसी भी बड़े दक्षिण और पूर्वी राज्य में शासन नहीं कर रही है. बीजेपी का अखिल भारतीय पार्टी बनने के लिए क्या गेम प्लान है?

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जवाब: “यह गलत आकलन है, आप चीजों का सरलीकरण कर रहे हैं. बीजेपी के गठन के समय से ही हम इस बारे में ऐसी मनगढ़ंत राय सुनते आ रहे हैं कि हम कौन हैं और हम किसका प्रतिनिधित्व करते हैं? एक समय था जब हमें हमें ब्राह्मण-बनिया पार्टी कहा जाता था. कहा जाता था कि हम ऐसी पार्टी हैं, जो सिर्फ हिंदी पट्टी तक ही सीमित हैं. यहां तक कि हमें एक ऐसी पार्टी भी कहा गया, जिसे सिर्फ शहरों में समर्थन हासिल है. हालांकि, चुनाव-दर-चुनाव हमने ऐसी धारणाओं को गलत साबित किया है.”

सवाल: फिर ऐसा कहा जाना कैसे गलत है?

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जवाब: “आज देश का कोई कोना ऐसा नहीं है जहां हमारी पार्टी को समर्थन न हासिल हो. केरल में स्थानीय निकायों से लेकर कई राज्यों में मुख्य विपक्ष बनने तक, हमारी पार्टी लोगों के बीच ठोस काम कर रही है. बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में हम प्रमुख विपक्षी दल हैं. बिहार में लोगों ने हमें अपना भारी समर्थन और जनादेश दिया था. छह महीने पहले कर्नाटक में हमारी सरकार थी. आज भी पुडुचेरी में हमारी सरकार है. हम वर्तमान में 16 राज्यों में शासन करते हैं और आठ में प्रमुख विपक्ष हैं. 2014 में उत्तर पूर्व के किसी भी राज्य में हमारी कोई उपस्थिति नहीं थी. पर आज हम पूर्वोत्तर के छह राज्यों में सरकार में हैं, जिनमें नागालैंड और मेघालय जैसे ईसाई-बहुल राज्य भी शामिल हैं. इसके अलावा, जहां तक दक्षिण भारत का सवाल है, लोकसभा सीटों के मामले में हम सबसे बड़ी पार्टी हैं. 1984 में दो लोकसभा सीटों की मामूली शुरुआत से अब 303 तक की हमारी यात्रा पर विचार करें. क्या हम देश के सभी हिस्सों के लोगों के समर्थन और ताकत के बिना राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण ताकत के रूप में उभर सकते थे?”

सवाल: हालिया विधानसभा चुनावों के प्रमुख प्रचारक के रूप में, आपकी रैलियों ने निर्णायक अंतर पैदा किया?

जवाब: “यहां आपका मूल्यांकन अधूरा है. बीजेपी कैडर आधारित पार्टी है. मतदान केंद्रों तक बीजेपी के पास प्रतिबद्ध कार्यकर्ताओं का एक बड़ा नेटवर्क है. हर स्तर पर हमारे पास ऐसा नेतृत्व है जो जनता के बीच लोकप्रिय है. सभी के संयुक्त प्रयास से जीत मिलती है. इसलिए, सिर्फ मुझे इसका श्रेय देना अनुचित होगा. कार्यकर्ताओं की कड़ी मेहनत का श्रेय उन्हें ही मिलना चाहिए.”

सवाल: 2024 के चुनाव के लिए ‘मोदी गारंटी’ क्या है?

जवाब: “मेरे लिए गारंटी महज शब्द या चुनावी वादे नहीं हैं, यह दशकों की मेरी कड़ी मेहनत का नतीजा है. यह समाज के प्रति संवेदनशीलता की अभिव्यक्ति है. जब मैं ‘गारंटी’ के बारे में बात करता हूं, तो मैं खुद को उससे जोड़ लेता हूं. फिर यह मुझे सोने नहीं देता और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है. यह मुझे देश के लोगों के लिए अपना सब समर्पित करने की प्रेरणा देता है. ऐसे में आप कृपया गारंटी के किताबी मायने न ढूंढें.”

सवाल: तो आपकी गारंटी की परिभाषा क्या है?

जवाब: “केवल वही व्यक्ति जिसने गरीबी का जीवन अनुभव किया है, यह समझता है कि उसे जीवन में आगे बढ़ाने वाली सबसे बड़ी ताकत उसका विश्वास, उसकी आशा है. गरीबों का यही विश्वास मुझे आगे बढ़ाता है. मोदी अपना सब कुछ लगा देगा लेकिन अपने गरीब भाई-बहनों का भरोसा नहीं टूटने देगा. मोदी की गारंटी चुनाव जीतने के लिए बनाया गया फॉर्मूला नहीं है, मोदी की गारंटी गरीबों का विश्वास है. आज देश का हर गरीब जानता है कि मोदी अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटेगा. आज हर गरीब व्यक्ति जानता है कि राजनीतिक दलों ने पहले कैसे उनका भरोसा तोड़ा है. लेकिन, वे यह भी जानते हैं कि मोदी की गारंटी पर भरोसा किया जा सकता है. गरीबों का यही विश्वास मुझे ऊर्जा भी देता है. भले ही मैं पूरी तरह से थक जाऊं या अपनी सीमा से आगे निकल जाऊं, मैं इस भरोसे को नहीं टूटने दूंगा.”

सवाल: क्या आप 2024 में हैट्रिक को लेकर आश्वस्त हैं? वे कौन से बड़े मुद्दे हैं जो इस आम चुनाव के नतीजे तय करेंगे

जवाब: “2024 के चुनाव की बात करें, तो मेरे आत्मविश्वास का सवाल नहीं है. मेरे हाथ सिर्फ इतना ही कि मैं अपना सब कुछ लोगों की सेवा में लगा दूं. मैं पूरी ईमानदारी और प्रतिबद्धता के साथ ऐसा करने की कोशिश कर रहा हूं. मगर  आज लोगों, विशेषज्ञों, ओपिनियन बनाने वालों और मीडिया के साथियों के बीच भी इस बात पर आम सहमति है कि हमारे देश को मिली-जुली सरकार की जरूरत नहीं है. मिली-जुली सरकारों से पैदा हुई अस्थिरता की वजह से हमने 30 साल गंवा दिए हैं. लोगों ने मिलीजुली सरकारों के समय में शासन की अक्षमता, तुष्टीकरण की राजनीति और भ्रष्टाचार को देखा है. इसी का नतीजा है कि लोगों के भीतर आशावाद और भरोसे का नुकसान हुआ. साथ ही, दुनिया भर में भारत की छवि भी खराब हुई. इसलिए स्वाभाविक रूप से लोगों की पसंद बीजेपी ही है.”

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