CM योगी को BJP संसदीय बोर्ड में नहीं मिली जगह, तो सपा-कांग्रेस ने ले लिए मजे, कसा ये तंज
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बुधवार, 17 अगस्त को अपने नए केंद्रीय संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का गठन किया. इसमें गौर करने वाली…
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भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने बुधवार, 17 अगस्त को अपने नए केंद्रीय संसदीय बोर्ड और केंद्रीय चुनाव समिति का गठन किया. इसमें गौर करने वाली बात ये रही कि भाजपा के नए संसदीय बोर्ड में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जगह नहीं मिली है. जबकि 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली बंपर जीत के बाद चर्चा यह थी कि संसदीय बोर्ड में सीएम योगी को भी शामिल किया जा सकता है. वहीं, अब सीएम योगी को संसदीय बोर्ड में जगह न मिलने के बाद समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने भाजपा पर तंज कसा है. विपक्षी पार्टियों ने इसे भाजपा की अंतरकलह बताते हुए निशाना साधा है कि ‘दिल्ली और लखनऊ की बीजेपी के बीच में तलवारें तनी हुई हैं.’
सपा प्रवक्ता ने कही ये बात-
सपा प्रवक्ता अनुराग भदौरिया ने कहा, “दिल्ली की बीजेपी और लखनऊ की बीजेपी में तलवारें तनी हुई हैं, सब दिखाई पद रहा है. दिल्ली की बीजेपी ने सन्देश दे दिया है लखनऊ की बीजेपी को कि अभी लखनऊ की बीजेपी की एंट्री दिल्ली में बैन है.”
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा,
“संसदीय बोर्ड में इतने महत्वपूर्व प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी जी को न रखा जाना अपने आप में कहीं न कहीं स्पष्ट संदेश देता है कि यूपी की भाजपा को और योगी जी को भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व दोयम नजरिए से देखता है. आगे ये अंतरकलह बढ़ेगी और कहीं न कहीं भाजपा को डेमेज करेगी. योगी जी को चाहिए कि यूपी की समस्याओं पर ध्यान दें. चुनाव आते-जाते रहेंगे.”
सुरेंद्र राजपूत
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आपको बता दें कि सीएम योगी को संसदीय बोर्ड में शामिल न किए जाने की ये दलील सामने आई है कि इस बार इसमें किसी भी मुख्यमंत्री को जगह नहीं दी गई है.
केंद्रीय संसदीय बोर्ड भाजपा की वो संस्था है जिसे बहुत ताकतवर माना जाता है और पार्टी के सभी बड़े तथा अहम फैसले इसी बोर्ड के माध्यम से लिए जाते हैं.
राजनीतिक गलियारों के बीच चर्चा ये थी कि पीएम पद का उमीदवार बनाने से पहले भाजपा ने नरेंद्र मोदी को संसदीय बोर्ड में शामिल किया था. मगर बीजेपी के इस नए संसदीय बोर्ड में किसी भी मुख्यमंत्री को जगह नहीं दी गई है, जबकि पहले से इस बोर्ड का हिस्सा रहे मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को इस बार शामिल नहीं किया गया है. ध्यान देने वाली बात यह है कि इस बार केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को भी संसदीय बोर्ड में जगह नहीं दी गई है.
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