केशव मौर्य का विभाग बदल कर कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद को मिला, जानें इसके पीछे की कहानी

कुमार अभिषेक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

योगी सरकार 2.0 में शपथ लेने वाले सभी मंत्रियों को उनके विभाग सोमवार शाम बांट दिए गए. विभागों के बंटवारे में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने वाले जितिन प्रसाद को खास अहमियत मिली है. जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी जैसा अहम विभाग सौंपा गया है. योगी सरकार के पहले कार्यकाल में यह विभाग डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास था. ऐसे में सवाल उठता है कि जितिन प्रसाद पर बीजेपी आखिर इतना मेहरबान क्यों है?

ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस शासित केंद्र सरकार में भूतल परिवहन मंत्री रहे जितिन प्रसाद को उनके अनुभव को देखते हुए इस बार लोक निर्माण विभाग दिया गया है. जितिन प्रसाद बीजेपी में ऐसे समय में आए थे जब ब्राह्मणों को लेकर पार्टी और योगी सरकार घिरी हुई थी. जितिन की एंट्री के बाद ब्राह्मण विरोधी नैरेटिव को काउंटर करने में बीजेपी को मदद मिली. जितिन प्रसाद ने प्रबुद्ध सम्मेलनों के जरिए भाजपा के पक्ष में माहौल बनाना शुरू किया.

जितिन प्रसाद के प्रभाव वाले गढ़ में बीजेपी को जीत मिली है. शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, पीलीभीत, बहराइच बरेली में बीजेपी अपनी सीटें बचाए रखने में सफल रही. जितिन प्रसाद साफ छवि के माने जाते हैं और युवा हैं, जिन्हें बीजेपी भविष्य के लीडर के तौर पर भी आगे बढ़ा रही है. ऐसा इसलिए ताकि कांग्रेस में दूसरे नेताओं को भी संदेश दिया जा सके. यही वजह है कि उन्हें कैबिनेट में तो रखा ही गया और पिछली सरकार में केशव प्रसाद मौर्य के पास मौजूद विभाग देकर बड़ा संदेश भी दिया गया.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

पीडब्ल्यूडी जैसा विभाग हमेशा से अहम विभाग माना जाता है और इस विभाग के ठेकेदारों में एक खास जाति का वर्चस्व रहा है. यूपी अगर ठाकुर-ब्राह्मण के बीच वर्चस्व के जंग की चर्चा होती है तो सिर्फ सियासी वर्चस्व की नहीं होती बल्कि ठेके-पट्टे से लेकर नौकरशाही तक में वर्चस्व की लड़ाई रहती है. ऐसे में इस बार इस विभाग को जितिन प्रसाद को दिया जाना इसलिए भी चर्चा में है.

जितिन प्रसाद को पीडब्ल्यूडी डिपार्टमेंट देकर बीजेपी ने कांग्रेस के भीतर भी एक बड़ा संदेश दिया है कि कांग्रेस का बड़ा चेहरा भी बीजेपी में आकर बड़ा बन सकता है. जितिन प्रसाद के बीजेपी में बढ़ने से पार्टी के भीतर का यह मिथ टूटा है कि बाहरियों पर बीजेपी कम भरोसा करती है. साथ ही, दूसरे कांग्रेसी नेताओं को भी यह इशारा है कि अगर वह बीजेपी की तरफ आते हैं तो उन्हें भी ऐसा ही ट्रीटमेंट मिल सकता है.

माना जा रहा है कि चाहे एके शर्मा हों या फिर जितिन प्रसाद, इन दोनों के विभागों को देते वक्त केंद्र की पसंद का ख्याल रखा गया है.

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT