कासगंज केस: ओवैसी बोले- ‘अल्ताफ का हुआ मर्डर, पुलिस ने पिता को डराकर लिया बयान’

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उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस हिरासत में अल्ताफ नामक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं. इस बीच एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने मीडिया को दिए अपने एक बयान का वीडियो ट्विटर पर पोस्ट किया है. इस बयान में ओवैसी ने कहा है, ”4 फीट पर नल की टोंटी है, हुड में कोई धागा निकालकर खुदकुशी कर सकता है क्या?”

इसके अलावा ओवैसी ने कहा है, ”(पुलिसकर्मियों को) किस बात के लिए सस्पेंड किया गया है, उनको तो अरेस्ट होना चाहिए. उस लड़के का मर्डर हुआ है पुलिस स्टेशन में, उसकी इज्जत इसलिए नहीं की जा रही क्योंकि वो गरीब है और मुसलमान है… कासगंज की पुलिस को किताब लिखनी चाहिए कि कैसे किसी को मारकर उसे खुदकुशी कह दिया जाए.”

एआईएमआईएम चीफ ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने अल्ताफ से पिता को डराकर उनसे बयान लिया है.

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मामले में पुलिस का क्या कहना है?

पुलिस अधीक्षक रोहन प्रमोद बोत्रे ने बताया कि मंगलवार को एक नाबालिग लड़की को कथित रूप से बहला-फुसलाकर साथ ले जाने के एक मामले में पूछताछ के लिए नगला सैयद इलाके के रहने वाले अल्ताफ नामक युवक को हिरासत में लिया गया था.

उन्होंने दावा किया कि पूछताछ के दौरान अल्ताफ ने हवालात के अंदर बने वॉशरूम में जाने की इच्छा जताई, इस पर उसे इजाजत दे दी गई, वहां उसने जैकेट के हुक में लगी डोरी नल में फंसाकर अपना गला घोंटने की कोशिश की.

उन्होंने कहा कि देर तक न लौटने पर पुलिसकर्मी वॉशरूम में गए और अल्ताफ को अस्पताल पहुंचाया, जहां उसकी मौत हो गई. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इस मामले में लापरवाही बरतने के आरोपी पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है.

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ओवैसी के अलावा कई दूसरे विपक्षी नेताओं की भी इस मामले पर प्रतिक्रियाएं आई हैं. बहुजन समाज पार्टी चीफ मायावती ने 11 नवंबर को ट्वीट कर कहा, ”कासगंज में पुलिस कस्टडी में एक और युवक की मौत अति-दुखद व शर्मनाक. सरकार घटना की उच्चस्तरीय जांच कराकर दोषियों को सख्त सजा दे और पीड़ित परिवार की मदद भी करे. यूपी सरकार आए दिन कस्टडी में मौत रोकने और पुलिस को जनता की रक्षक बनाने में विफल साबित हो रही है यह अति-चिन्ता की बात.”

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11 नवंबर को कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल अल्ताफ के परिवार से मिलने पहुंचा. इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 10 नंवबर को ट्वीट कर कहा, ”कासगंज में अल्ताफ, आगरा में अरुण वाल्मीकि, सुल्तानपुर में राजेश कोरी की पुलिस कस्टडी में मौत जैसी घटनाओं से साफ है कि रक्षक भक्षक बन चुके हैं. यूपी पुलिस हिरासत में मौत के मामले में देश में सबसे ऊपर है. बीजेपी राज में कानून व्यवस्था पूरी तरह चौपट है. यहां कोई भी सुरक्षित नहीं है.”

समाजवादी पार्टी चीफ अखिलेश यादव ने भी 10 नवंबर को कासगंज मामले पर ट्वीट कर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा, ”कासगंज में पूछताछ के लिए लाए गए युवक की थाने में मौत का मामला बेहद संदेहास्पद है. लापरवाही के नाम पर कुछ पुलिसवालों का निलंबन सिर्फ दिखावटी कार्रवाई है. इस मामले में इंसाफ और बीजेपी के राज में पुलिस में विश्वास की पुनर्स्थापना के लिए न्यायिक जांच होनी ही चाहिए.”

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