अखिलेश के बाद अब BJP का मायावती पर भी हमला, पूछा- ‘जिन्ना के मसले पर बुआ-बबुआ एक तो नहीं’
यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों में पिछले काफी समय से बीजेपी पर कांग्रेस, एसपी और बीएसपी जैसे विपक्षी दल चौतरफा वार कर रहे थे. लेकिन…
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यूपी में आगामी विधानसभा चुनावों में पिछले काफी समय से बीजेपी पर कांग्रेस, एसपी और बीएसपी जैसे विपक्षी दल चौतरफा वार कर रहे थे. लेकिन अखिलेश यादव ने जिन्ना का नाम लेकर बीजेपी को बैठे-बिठाए एक ऐसा मुद्दा दे दिया है, जिसपर पार्टी बेहद आक्रामक मोड में नजर आ रही है. बीजेपी ने जिन्ना को लेकर अब समाजवादी पार्टी (एसपी) के मुखिया अखिलेश यादव संग बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती को भी घेर लिया है.
असल में सोमवार को जब अखिलेश यादव के जिन्ना वाले बयान पर सियासत तेज हुई तो बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इसे एसपी-बीजेपी की मिलीभगत कह दिया. मायावती ने इस प्रकरण पर दो ट्वीट में अपनी बात रखी. मायावती ने कहा कि जिन्ना पर अखिलेश की टिप्पणी और उसे ‘लपककर’ बीजेपी की प्रतिक्रिया, दोनों पार्टियों की अंदरूनी मिलीभगत है. मायावती यहीं नहीं रुकीं, उन्होंने आगे कहा कि ‘एसपी और बीजेपी की राजनीति एक-दूसरे की पोषक और पूरक’ है.
अब स्वाभाविक तौर पर बीजेपी की तरफ से भी प्रतिक्रिया सामने आनी ही थी. बीजेपी ने मायावती के ट्वीट का जवाब भी ट्वीट से ही दिया. यूपी बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से लिखा गया, ‘मायावती जी, सब छोड़िए और ये बताइये कि क्या आप भी जिन्ना को देश की आजादी का नायक मानती हैं? अपने ट्वीट में आपने कहीं भी अखिलेश यादव के बयान की निंदा नहीं की है. जिन्ना के मसले पर ‘बुआ-बबुआ’ एक तो नहीं हैं?’
.@Mayawati जी, सब छोड़िए और ये बताइये कि क्या आप भी जिन्ना को देश की आजादी का नायक मानती हैं?
अपने ट्वीट में आपने कहीं भी अखिलेश यादव के बयान की निंदा नहीं की है।
जिन्ना के मसले पर 'बुआ-बबुआ' एक तो नहीं हैं? https://t.co/44ZnvCcRn6
— BJP Uttar Pradesh (@BJP4UP) November 1, 2021
आपको बता दें कि 2019 में अखिलेश और मायावती के गठबंधन के बाद से ही ‘बुआ-बबुआ’ का तंज यूपी की राजनीति में अच्छा-खासा लोकप्रिय हो गया है.
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क्या है हालिया जिन्ना विवाद?
भारत की सियासी राजनीति में वैसे तो गाहे-बेगाहे पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की एंट्री होती ही रहती है. लेकिन यूपी की राजनीति में जिन्ना फैक्टर पिछले कई चुनावों से कुछ ज्यादा ही मुखर रूप से सामने आ रहा है. ताजा विवाद की शुरुआत 31 अक्टूबर को हरदोई में दिए गए अखिलेश यादव के एक बयान से होती है. अखिलेश यादव ने कहा था, ‘सरदार (वल्लभ भाई) पटेल जी, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू और जिन्ना एक ही संस्था में पढ़े और बैरिस्टर बनकर आए थे. एक ही जगह पर उन्होंने पढ़ाई-लिखाई की. वो बैरिस्टर बने. उन्होंने आजादी दिलाई.’
अब अखिलेश ने चाहे जो सोचकर जिन्ना का जिक्र किया हो, लेकिन यह फिलहाल यूपी चुनाव का सबसे ज्वलंत मुद्दा बन गया है. चाहे योगी आदित्यनाथ हों, चाहे केशव प्रसाद मौर्य या स्वतंत्र देव सिंह, यूपी बीजेपी की टॉप लीडरशिप ने जिन्ना को लेकर अखिलेश यादव पर चौतरफा हमला बोल रखा है.
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