पूर्व MLA बृजेश प्रजापति की बिल्डिंग पर बुल्डोजर चलाने का केस कमिश्नर कोर्ट में पहुंचा
यूपी के बांदा में तिंदवारी से पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी के नेता बृजेश प्रजापति के बिल्डिंग पर बुल्डोजर चलाने का मामला अब कमिश्नर न्यायालय…
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यूपी के बांदा में तिंदवारी से पूर्व विधायक और समाजवादी पार्टी के नेता बृजेश प्रजापति के बिल्डिंग पर बुल्डोजर चलाने का मामला अब कमिश्नर न्यायालय पहुंच गया है, जहां उन्होंने बांदा विकास प्राधिकरण (बीडीए) के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है.
बृजेश प्रजापति ने मामले को बीडीए न्यायालय से हटाकर किसी अन्य कोर्ट में ट्रांसफर करने की मांग की है. इसके पीछे उन्होंने ये दलील दिया कि उन्हें वहां से न्याय की उम्मीद नहीं है. मामले में अगली सुनवाई 25 अप्रैल को होनी है.
कमिश्नर न्यायालय में बृजेश के पक्ष में उनके वकील ने तर्क दिया कि प्रार्थी का वार्ड घनी आबादी में है, जिसपर कोई डेवलपमेंट प्लान हेतु नियमतः पहले संबंधित एरिया को डेवलेपमेंट एरिया घोषित करने हेतु धारा 3 गजट नोटिफिकेशन जारी करना आवश्यक है, जो इस क्षेत्र में नहीं किया गया. धारा 3 के अनुपालन न होने की स्थिति में बृजेश के विरुद्ध धारा 14 और 15 की कार्रवाई करने का कोई औचित्य नहीं है.
वकील ने कहा कि बृजेश का मकान पैतृक है, जो 1973 के पहले का बना हुआ है. जब मकान बना था तब बांदा विकास प्राधिकरण संचालित नहीं था. इस स्थिति में प्रार्थी को बीडीए न्यायालय से न्याय मिलने की उम्मीद नहीं है. प्रार्थना पत्र को अवर न्यायालय को अंतिम आदेश करने से रोका जाए.
बहस के बाद कमिश्नर न्यायालय ने तर्कों को सुनने के बाद वादी के प्रार्थना पत्र का अवलोकन किया. न्यायहित में देखते हुए अवर न्यायालय प्रस्तरवार आख्या तलब की जाने का आदेश दिया और विपक्षी को नोटिस भेजने के साथ 25 अप्रैल को सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित की है.
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क्या है मामला
बीडीए ने 22 मार्च 2022 को बृजेश को नोटिस जारी कर घर का नक्शा के संबंध में प्रपत्र 7 अप्रैल तक प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे. बृजेश ने अपने पक्ष में प्रतिनिधि भेज कई कागज प्रस्तुत किए, लेकिन मकान निर्माण के सम्बंध में कोई नक्शे से संबंधित कोई साक्ष्य नहीं दिखा सके. बीडीए कोर्ट में 16 अप्रैल 2022 तारीख लगी, जिसमें बृजेश मकान निर्माण के कागज नही दिखा सके.
इसके बाद बीडीए कोर्ट ने 18 अप्रैल को बृजेश को नोटिस जारी कर खुद से मकान हटाने के लिए 15 दिनों की मोहलत दी है. अन्यथा की स्थिति में बीडीए द्वारा गिराने की कार्रवाई की जाएगी, जिसका खर्च भी मकान मालिक से वसूल किया जाएगा.
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