यूपी प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव BJP के लिए बड़ा टास्क, इन समीकरणों-नेताओं पर हो रहा विचार
उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष पार्टी नेतृत्व के सामने एक उभरता हुआ सवाल बन गया है. इसे लेकर पहले ही…
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उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष पार्टी नेतृत्व के सामने एक उभरता हुआ सवाल बन गया है. इसे लेकर पहले ही सबसे ज्यादा चर्चा हो चुकी है और बीजेपी ने अभी तक सस्पेंस कायम रखा है. अब बताया जा रहा है कि आजमगढ़ और रामपुर उपचुनाव के नतीजे आने के बाद यूपी में बीजेपी के नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है. इसके लिए बीजेपी आलाकमान जल्द ही ऐलान कर सकता है.
बीजेपी अध्यक्ष पद को लेकर कई नाम सुर्खियों में हैं. हालांकि अभी भी ब्राह्मण और दलित के बीच गणित उलझा हुआ है. पार्टी अब किसी एक नाम पर मुहर लगाने वाली है. ऐसा माना जा रहा है कि अगले महीने की शुरुआत तक पार्टी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल जाएगा.
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भाजपा की फिर से जीत के बाद वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को योगी आदित्यनाथ कैबिनेट में मंत्री के रूप में शामिल किया गया है और वह प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी भी संभाल रहे हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्ष का ऐलान कर सकती है क्योंकि प्रदेश में योगी सरकार को बने 3 महीने बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम की घोषणा नहीं हुई है.
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राज्य में इस बात की भी चर्चा है कि पार्टी इस बार दलित चेहरे पर दांव लगा सकती है. इस बार विधानसभा चुनाव में दलित वर्ग ने बीजेपी को वोट दिया है. इसलिए बीजेपी 2024 के लिए दलितों को लुभाने की कोशिश कर सकती है. बताया जा रहा है कि पार्टी दलित और पिछड़ी जातियों से आने वाले भानु प्रताप वर्मा, विनोद कुमार सोनकर और बीएल वर्मा पर भी दांव खेल सकती है. पार्टी के भीतर भी चर्चा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से आने वाले जाट नेता को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाए. इसलिए इस मामले में पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र चौधरी और संजीव बाल्यान का नाम सामने आ रहा है.
ब्राह्मण नेतृत्व की भी हो रही पैरवी
अहम बात यह है कि एक धड़ा ऐसा भी है जो एक बार फिर राज्य स्तर पर ब्राह्मण नेतृत्व की पैरवी कर रहा है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले इन दोनों चुनावों में राज्य में पार्टी की कमान ब्राह्मण नेता के पास थी और बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की थी. पार्टी को यूपी चुनावों के दौरान ब्राह्मणों की उपेक्षा और उनके कल्याण के लिए बहुत सारी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है. इसमें श्रीकांत शर्मा का नाम लंबे समय से चल रहा है, लेकिन अब पूर्व उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा सबसे आगे हैं. वहीं, राज्य सभा के लिए चुने गए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी भी इस दौड़ में बताए जा रहे हैं. इसके अलावा कन्नौज के सांसद सुब्रत पाठक और बस्ती के सांसद हरीश द्विवेदी के नाम भी पार्टी के सामने चर्चा में हैं.
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