पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं, फिर पेपर लीक, कब तक सब्र करे नौजवान: वरुण

भाषा

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किसानों के मुद्दों पर लगातार अपनी ही पार्टी की सरकार को कटघरे में खड़ा करने वाले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद वरुण गांधी ने 2 दिसंबर को सरकारी नौकरियों की कमी का मुद्दा उठाया और कहा कि देश के नौजवान कब तक सब्र करेंगे.

उन्होंने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पहले तो सरकारी नौकरी ही नहीं है, फिर भी कुछ मौका आए तो पेपर लीक हो, परीक्षा दे दी तो सालों साल रिजल्ट नहीं, फिर किसी घोटाले में रद्द हो. रेलवे ग्रुप डी के सवा करोड़ नौजवान दो साल से परिणामों के इंतजार में हैं. सेना में भर्ती का भी वही हाल है. आखिर कब तक सब्र करे भारत का नौजवान?’’

बाद में एक बयान में उत्तर प्रदेश के पीलीभीत से बीजेपी सांसद गांधी ने कहा कि ग्रामीण भारत में औसत युवाओं के लिए रोजगार के अवसर मुख्यत: सरकारी नौकरियों तक ही सीमित रहते हैं, चाहे वह रक्षा क्षेत्र हो या पुलिस, रेलवे या फिर शिक्षा.

वरुण गांधी ने कहा,

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प्रत्येक क्षेत्र में पहले के मुकाबले कम सरकारी नौकरियां हैं, लिहाजा युवाओं में कुंठा के भाव पैदा हो रहे हैं. पिछले दो वर्षों में सिर्फ उत्तर प्रदेश में परीक्षा पेपर लीक होने की वजह से 17 परीक्षाएं स्थगित की जा चुकी हैं और अभी तक इसमें शामिल किसी बड़े सिंडिकेट की पहचान नहीं की जा सकी है. युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार से जोड़ने का भी कोई तंत्र नहीं है. इसलिए रोजगार संबंधी दिशानिर्देशों और निर्धारित समय-सारणी का पालन किया जाना आवश्यक है.

वरुण गांधी, सांसद, पीलीभीत

केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों की आवाज में भी वरुण आवाज मिलाते दिखे थे.

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तीन कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के एक दिन बाद भी उन्होंने आंदोलनरत किसानों के सुर में सुर मिलाते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून बनाने की मांग की थी और आगाह किया था कि राष्ट्रहित में सरकार को ‘‘तत्काल’’ यह मांग मान लेनी चाहिए अन्यथा आंदोलन समाप्त नहीं होगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर उन्होंने लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के खिलाफ भी कार्रवाई की मांग की थी और कहा था कि तीन कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने का यह निर्णय अगर पहले ही ले लिया जाता तो 700 से अधिक किसानों की जान नहीं जाती.

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