UP के लिए BJP में अमित शाह के पर्यवेक्षक बनाए जाने के क्या हैं सियासी मायने? समझिए

कुमार अभिषेक

ADVERTISEMENT

UPTAK
social share
google news

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीत के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार बनाने की तैयारी में है. बीजेपी ने यूपी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को केंद्रीय पर्यवेक्षक और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास को सह-पर्यवेक्षक नियुक्त किया है.

बीजेपी योगी आदित्यनाथ के चेहरे पर ही चुनाव मैदान में उतरी थी और उसकी अगुवाई वाले गठबंधन को 273 सीटों पर ऐतिहासिक जीत मिली है. ऐसे में लगभग तय माना जा रहा है कि योगी ही विधायक दल के नेता चुने जाएंगे. हालांकि यूपी में बीजेपी ने अमित शाह को पर्यवेक्षक की भूमिका में भेजकर एक बड़ा कदम उठाया है, जिसके खास सियासी मायने हैं.

केशव प्रसाद मौर्य का कद नहीं घटेगा!

ऐसी चर्चा है कि केशव प्रसाद मौर्य भले ही चुनाव हार गए हों, लेकिन उनका सियासी कद नहीं कम होगा. मौर्य को आगे बढ़ाने में अमित शाह की अहम भूमिका रही है. ऐसे में शाह के पर्यवेक्षक बनने के बाद माना जा रहा है कि मौर्य को सियासी तौर पर अहमियत दी जाएगी.

2017 में केशव मौर्य को डिप्टी सीएम बनाया गया था. उन्हें इस पद पर बरकरार रखा जा सकता है. अगर वह खुद डिप्टी सीएम नहीं बनना चाहेंगे, तो प्रदेश अध्यक्ष की कमान दोबारा से सौंपी जा सकती है.

यह भी पढ़ें...

ADVERTISEMENT

यूपी में चौंकाऊ फैसले सामने आएंगे

अमित शाह पर्यवेक्षक बनकर कई ऐसे फैसले लेंगे जो चौंकाने वाले होंगे. माना जा रहा है कि बड़े नेताओं की मंत्रिमंडल से छुट्टी हो सकती है, तो कई संगठन के नेताओं को कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. यह फैसला अमित शाह लेंगे, तो विरोध के सुर भी सामने नहीं आएंगे. कैबिनेट में कई ऐसे चेहरे लाए जा सकते हैं जो आश्चर्य चकित करने वाले होंगे.

2024 के लिए तैयार करेंगे पिच

यूपी में मिली जीत के जरिए अब बीजेपी 2024 की सियासी पिच तैयार करना चाहती है. ऐसे में अमित शाह पर्यवेक्षक के तौर पर योगी टीम का गठन करेंगे, जिसमें क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाना होगा.

ऐसे में किसे योगी टीम में शामिल करना है और किसे नहीं, ये तमाम फैसले शाह लेंगे.

ADVERTISEMENT

सहयोगी दलों की हिस्सेदारी पर भी होगा फैसला

य़ूपी में इस बार बीजेपी के सहयोगी दलों की सीटें बढ़ी हैं. ऐसे में उनका सत्ता में प्रतिनिधित्व कितना होगा, इसका भी फैसला होना है. निषाद पार्टी और अपना दल (एस) कोटे से कितने मंत्री बनेंगे और इन दलों से ये चेहरे कौन होंगे, इसका फैसला भी अमित शाह को करना है. इसकी एक वजह यह भी मानी जा रही है कि अमित शाह के फैसलों पर सहयोगी दल विवाद करने की स्थिति में नहीं होंगे.

UP: अब विधान परिषद चुनाव में बहुमत हासिल करने पर BJP की नजर, जानिए मौजूदा स्थिति

ADVERTISEMENT

    follow whatsapp

    ADVERTISEMENT