2024 में ‘चाचा’ शिवपाल की मदद से पूर्वांचल पर निशाना साधेंगे अखिलेश! बना रहे ये प्लान

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UP Political News: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव की ‘ऐतिहासिक’ जीत के बाद अब समाजवादी पार्टी उत्साहित नजर आ रही है. वहीं, जसवंतनगर सीट से विधायक शिवपाल सिंह यादव की सपा में वापसी के बाद पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश की लहर है. खुद अखिलेश यादव ने यूपी तक से बातचीत में कहा था कि समाजवादी पार्टी अब शिवपाल यादव को कोई बड़ी जिम्मेदारी देगी. इन सब के बीच अखिलेश यादव अब ‘मिशन 2024’ की तरफ जुट गए हैं. सियासी गलियारों में चर्चा तेज है कि अखिलेश अपने चाचा को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए टिकट दे सकते हैं.

यहां से चुनाव लड़ सकते हैं शिवापल!

ऐसी खबर सामने आई है कि शिवपाल को 2024 में पूर्वी उत्तर प्रदेश की किसी ऐसी सीट से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे समाजवादी पार्टी को बड़ा फायदा मिले. चर्चा है कि शिवपाल को सपा आजमगढ़ से टिकट दे सकती है. गौरतलब है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ सीट से जीत हासिल की थी. मगर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में करहल से जीत हासिल करने के बाद उन्होंने आजमगढ़ सीट छोड़ दी थी.

भाजपा ने लगाई थी सपा के आजमगढ़ ‘किले’ में सेंध

आपको बता दें कि अखिलेश यादव द्वारा आजमगढ़ सीट छोड़ने के बाद यहां उपचुनाव हुआ. इस उपचुनाव में भाजपा के दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ और सपा के धर्मेंद्र यादव के बीच सीधी टक्कर हुई. और आखिरकार निरहुआ ने उपचुनाव जीतने के साथ ही अजामगढ़ में ‘कमल’ खिला दिया था.

आजमगढ़ में उपचुनाव हारने के बाद सपा खेमे में खलबली मच गई थी. खलबली मचनी इसलिए भी लाजमी थी क्योंकि सपा अपनी परंपरागत सीट हार गई थी. अब सपा अपने इसी गढ़ को वापस हासिल करने के लिए जुट गई है. इस ‘गढ़’ को दोबारा हासिल करने के लिए सपा को एक ‘मजबूत’ उम्मीदवार की जरूरत है. इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि अखिलेश आजमगढ़ में सपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए शिवपाल को टिकट दे सकते हैं.

अखिलेश से तनातनी के बाद शिवपाल ने बनाई थी अपनी पार्टी

गौरतलब है कि सितंबर 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उस वक्त कैबिनेट मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव के बीच तनातनी शुरू हो गई थी. इसके बाद दोनों के बीच पार्टी और सरकार पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गयी थी. एक जनवरी, 2017 को अखिलेश को पार्टी का अध्यक्ष बना दिया गया था. उसके बाद शिवपाल पार्टी में हाशिये पर पहुंच गए थे. सपा में ‘सम्मान’ नहीं मिलने पर उन्होंने अगस्त 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया का गठन कर लिया था.

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इसके बाद शिवपाल ने वर्ष 2019 में फिरोजाबाद लोकसभा सीट का चुनाव सपा प्रत्याशी अक्षय यादव के खिलाफ लड़ा था. हालांकि, वह जीत नहीं सके थे. लेकिन उन्हें 90 हजार से ज्यादा वोट मिले थे, जिसे सपा प्रत्याशी की पराजय की बड़ी वजह माना गया था.

हालांकि, शिवपाल ने इस साल के शुरू में हुए विधानसभा चुनाव में जसवंत नगर सीट से सपा के ही टिकट पर चुनाव लड़ा था और उसमें जीत हासिल की थी. मगर उसके बाद अखिलेश से फिर से उनका मनमुटाव शुरू हो गया था.

मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद फिर एक हुए चाचा-भतीजे

सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में शिवपाल ने गिले-शिकवे भुलाकर अखिलेश की पत्नी और सपा प्रत्याशी डिंपल यादव के पक्ष में प्रचार किया था. डिंपल की जीत के बाद अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल सिंह यादव को समाजवादी पार्टी (सपा) का झंडा प्रदान किया और इसके साथ ही प्रसपा के सपा में विलय हो गया.

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