BHU: कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में पाकिस्तान के कवि अल्लामा इकबाल की फोटो लगाने पर बवाल
काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के उर्दू विभाग में आयोजित एक वेबीनार कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में बीएचयू के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर…
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काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के उर्दू विभाग में आयोजित एक वेबीनार कार्यक्रम के आमंत्रण पत्र में बीएचयू के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर हटाकर पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल की तस्वीर लगाने का मामले सामने आया है.
जब इस मामले की शिकायत करने आर्ट्स फैकल्टी के डीन के दफ्तर छात्र पहुंचे तो आनन-फानन में उर्दू विभाग ने अल्लामा इकबाल की तस्वीर हटा कर मालवीय की तस्वीर लगा दी और अपने ट्विटर हैंडल से आर्ट फैकेल्टी ने माफी भी मांगी. हालांकि इस पूरे मामले की जांच के लिए आर्ट्स फैकल्टी के डीन की ओर से एक कमेटी भी बना दी गई है और उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष को उपस्थित होकर अपना पक्ष रहने के लिए भी कहा गया है.
वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आर्ट्स फैकेल्टी के अंतर्गत आने वाले उर्दू विभाग की ओर से आज उर्दू भाषा पर एक वेबीनार का आयोजन था. लेकिन यह वेबीनार उस समय विवादों में घिर गया जब दर्जनों की संख्या में छात्र आर्ट्स फैकल्टी के डीन ऑफिस में आपत्ति के साथ पहुंचे कि आमंत्रण पत्र में बीएचयू के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय की तस्वीर की जगह पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि अल्लामा इकबाल की तस्वीर लगाई गई है.
इसके बाद आनन-फानन में आर्ट्स फैकेल्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर एक खेद जारी करते हुए इसे भूल बताया और पंडित मदन मोहन मालवीय जी की तस्वीर वाला आमंत्रण पत्र जारी कर दिया. इसके अलावा एक जांच कमेटी भी आर्ट्स फैकल्टी के डीन ने बनाकर उसके समक्ष उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर आफताब अहमद को पेश होने और अपना पक्ष रखने का फरमान सुनाया है.
डीन ऑफिस में शिकायत करने पहुंचे छात्र पतंजलि ने बताया कि विश्वविद्यालय का छात्र कभी भी मालवीय जी के सम्मान के साथ खिलवाड़ को बर्दाश्त नहीं कर सकता है .परंपरा के विपरीत उर्दू विभाग ने मालवीय जी की तस्वीर को अपने पोस्टर में स्थान नहीं दिया और उनकी जगह पाकिस्तान निर्माण के सैद्धान्तिक निर्माता अल्लामा इकबाल को स्थान दिया.
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उन्होंने आगे कहा कि इस कार्यक्रम की सूचना ना तो विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर दी गई और डीन को भी इस वेबीनार के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. लिहाजा पब्लिक फोरम से इस कार्यक्रम को दूर रखा गया.
छात्र पतंजलि ने यह भी आरोप लगाया कि जैसे ही वेबिनार में पहुंचा गया तो उसमें आपत्तिजनक बातें चल रही थीं और शिक्षा की आड़ में धार्मिक एजेंडा को साधने की कोशिश की जा रही थी. इस पूरे मामले की शिकायत करने कला संकाय के डीन के यहां पहुंचा गया तो उन्होंने आश्वासन दिया है. अगर इसके बावजूद कुछ नहीं होता तो दो-तीन दिनों के बाद छात्र इस पूरे मामले को लेकर आंदोलन करेंगे.
वहीं एक अन्य शोध छात्र गुंजेश गौतम ने बताया कि आज 9 नवंबर के दिन विश्व उर्दू दिवस के अवसर पर कला संकाय के उर्दू विभाग की ओर से एक कार्यक्रम रखा गया. सोशल मीडिया से हम लोगों को अन्य जगह से भी जानकरी प्राप्त हुई. उसमें बड़ा घोर आपत्तिजनक विषय था.
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