शिवलिंग, डमरू, कमल, शेष नाग का फन, मूर्तियां? जानें ज्ञानवापी की दो रिपोर्ट्स में क्या है
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए आयोग के सर्वेक्षण कार्य की 2 रिपोर्ट्स अदालत में पेश कर दी गई हैं. बता दें कि अदालत द्वारा…
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ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में किए गए आयोग के सर्वेक्षण कार्य की 2 रिपोर्ट्स अदालत में पेश कर दी गई हैं. बता दें कि अदालत द्वारा हटाए गए अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने छह और सात मई को किए गए ज्ञानवापी परिसर की सर्वेक्षण की रिपोर्ट बुधवार को अदालत को सौंपी. वहीं, विशेष अधिवक्ता आयुक्त विशाल सिंह ने 14, 15 और 16 मई को किए गए सर्वेक्षण कार्य की रिपोर्ट जिला सिविल न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश की. इस बीच पूर्व अधिवक्ता आयुक्त अजय मिश्रा ने यूपी तक से खास बातचीत में बताया है कि उन्हें सर्वे के दौरान क्या-क्या दिखा?
पूर्व अधिवक्ता आयुक्त ने बताया,
“मैंने सभी चीजों का जिक्र किया है. विवादित स्थल में हिंदू आकृति मिली हैं. शेष नाग का टूटा हुआ फन मिला है. तहखाने की तरफ मुझे जाने नहीं दिया गया. खंडित मूर्ति मिली हैं, अवशेष हैं, टुकड़े हैं, देखकर लगता है मंदिर का अवशेष है. पांच से छह सौ साल पुराना लगता है.”
अजय कुमार मिश्रा
अजय कुमार मिश्रा ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासन की ओर से उन्हें सहयोग नहीं मिला. उन्होंने कहा, “वह एक दूसरे पर अपना भार सौंपते रहे. फिर वक्त निकल गया और कार्रवाही टल गई. उनके चक्कर में समय बरबाद हुआ.”
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बता दें कि अदालत सर्वेक्षण की जानकारी लीक करवाने के आरोप में अधिवक्ता आयुक्त मिश्रा को मंगलवार को पद से हटा दिया था.
विशाल सिंह की रिपोर्ट में किन ‘सनातनी चिह्न का है जिक्र?’
सूत्रों के हवाले से पता चला है कि विशाल सिंह ने अपनी रिपोर्ट में शिवलिंग/फाउंटेन का उल्लेख किया है. रिपोर्ट में मस्जिद के अंदर और तहखाने में कई सनातन संस्कृति के चिह्न पाए जाने की बात की गई है. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सर्वे में कमल, डमरू, त्रिशूल और अन्य चिह्न भी पाए गए हैं.
हिंदू पक्ष ने किया शिवलिंग होने का दावा, मुस्लिम पक्ष ने नकारा
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बता दें कि ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर का वीडियोग्राफी सर्वे कार्य सोमवार को पूरा किया गया था. सर्वे के अंतिम दिन हिन्दू पक्ष ने दावा किया था कि मस्जिद के वजूखाने में एक शिवलिंग मिला है.
वहीं, दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष ने यह कहते हुए इस दावे को गलत बताया था कि मुगल काल की तमाम मस्जिदों में वजूखाने के ताल में पानी भरने के लिए नीचे एक फव्वारा लगाया जाता था और जिस पत्थर को शिवलिंग बताया जा रहा है, वह फव्वारा का ही एक हिस्सा है.
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