हमीरपुर: इस गांव में दूल्हा-दुल्हन पहले रावण से लेते हैं आशीर्वाद, दशहरे में होती है पूजा
यूपी के हमीरपुर में एक ऐसा भी गांव है जहां रावण का पुतला जलाया नहीं जाता बल्कि दशहरे के दिन उसकी पूजी की जाती है.…
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यूपी के हमीरपुर में एक ऐसा भी गांव है जहां रावण का पुतला जलाया नहीं जाता बल्कि दशहरे के दिन उसकी पूजी की जाती है. दशहरे के दिन गांव में सैकड़ों साल पुरानी विशाल रावण की प्रतिमा को सजाकर ग्रामीण नारियल चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं. यहां मान्यता है कि जिस रावण से खुद भगवान लक्ष्मण ने ज्ञान लिया, उसे इंसान कैसे जला सकते हैं. गांव के बीच में रावण के नौ सिर वाली विशाल प्रतिमा भी स्थापित है.
हमीरपुर के बिहूनी में गांव के बीच रामलीला मैदान है, जिसके ठीक सामने रावण की दस फिट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. 9 सिर व 20 भुजाओं वाली प्रतिमा के सिर पर मुकुट है. जिसमें घोड़े की आकृति बनी है. रावण की यह प्रतिमा बैठने की मुद्रा को दर्शाती है.
गांव के निवासी धीरेंद्र बताते हैं कि यह प्रतिमा का निर्माण कब और किसने कराया यह गांव के बड़े बुजुर्गों को भी पता नहीं है. अंदाजा लगाया जा जाता है कि प्रतिमा करीब एक हजार वर्ष पुरानी होगी. ग्राम पंचायत द्वारा सैकड़ों वर्ष पुरानी इस प्रतिमा को सहेजने का काम किया जा रहा है. प्रतिवर्ष प्रतिमा की रंगाई पुताई कराई जाती है. धर्मेंद्र बताते हैं कि गांव में कभी रावण दहन नहीं किया जाता है. ग्रामीण तर्क देते हैं कि रावण महाविद्धान थे और अंतिम समय में भगवान राम के कहने पर लक्ष्मण ने उनसे ज्ञान लिया था. जिस विद्धान से खुद भगवान ने ज्ञान लिया उसके पुतले को जलाने का इंसान को क्या अधिकार है. ग्रामीण बताते हैं कि दशहरे पर रावण की प्रतिमा को रंग रोगन कर सजाया जाता है. श्रृंगार के बाद ग्रामीण श्रद्धा से यहां नारियल चढ़ाते हैं.
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विजयदशमी का पर्व असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाते हैं पर रावण के पुतले का दहन नहीं किया जाता. रावण की प्रतिमा स्थापित होने से इस मोहल्ले को रावण पटी कहते हैं. विवाह के बाद नवदंपती रावण की प्रतिमा के सामने नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेना नहीं भूलते.
रावण की प्रतिमा के सामने मंदिर व रामलीला मैदान है. प्रत्येक वर्ष जनवरी माह में यहां पर विशाल मेले का आयोजन होता है. जिसमें दूरदराज से आने वाले व्यापारी अपनी दुकानें लगाते हैं. मेले के दौरान रामलीला का मंचन भी होता है. करीब एक सप्ताह तक चलने वाली रामलीला में रावण वध के बाद भी पुतले को नहीं जलाया जाता. रामलीला कलाकार प्रतीकात्मक रूप में रावण वध करते हैं. ग्रामीण रावण की प्रतिमा पर नारियल चढ़ा कर सुख समृद्धि की कामना करते हैं.
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