नोएडा : जॉब छोड़ी, की कानून की पढ़ाई फिर वकील बनकर पिता के हत्यारों को दिलाई सजा
Uttar Pradesh News : आपने ऐसे कई बेटों की कहानी सुनी होगी थोड़े से लोभ लालच के चक्कर में बेटा, पिता के साथ किसी भी…
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Uttar Pradesh News : आपने ऐसे कई बेटों की कहानी सुनी होगी थोड़े से लोभ लालच के चक्कर में बेटा, पिता के साथ किसी भी हद तक गुजर जाता है. लेकिन उत्तर प्रदेश के नोएडा की ये कहानी उनसब कहानियों से अलग है. एक बेटे ने अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए पहले उसने अपनी प्राइवेट जॉब छोड़ी और फिर लॉ की पढ़ाई करके 10 साल की कानूनी लड़ाई लड़कर दो आरोपियों को सलाखों के पीछे तक पहुंचाया.
वकील बनकर पिता के हत्यारों को दिलाई सजा
ग्रेटर नोएडा से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर आपकी आँखें भी नम हो जाएंगी। यहां एक बेटे ने अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए अपनी प्राइवेट जॉब छोड़कर लॉ की पढ़ाई की और फिर 10 साल की कानूनी लड़ाई लड़कर दो आरोपियों को आजीवन कारावास दिलाया।#GreaterNoida #UttarPradesh pic.twitter.com/kOfwU046aP
— UP Tak (@UPTakOfficial) December 8, 2023
दअरसल, इस पूरी कहानी को समझने के लिए आपको आज से करीब 10 साल पहले नोएडा के थाना 39 क्षेत्र में स्थित रायपुर गांव में घटी घटना को समझना पड़ेगा. 31 दिसंबर 2013 को आकाश के पिता घर पर थे. तभी गांव के ही राजपाल चौहान और उसके तीन बेटे बाइक पर सवार होकर आए और 4 गोली आकाश के पिता पालेराम के शरीर में दाग कर चले गए. जिससे पालेराम की मौके पर ही मौत हो गई और इस हत्या के पीछे की वजह थी. इन आरोपियों द्वारा गांव व गांव के पास यमुना के खादर में की जा रही अवैध खनन और ग्राम समाज की भूमि पर अवैध अतिक्रमण के खिलाफ आवाज उठाने के लिए की गईं.
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जॉब छोड़ी फिर की कानून की पढ़ाई
जिसके चलते इन आरोपियों ने पालेराम की हत्या कर दी. इसके साथ ही आकाश का ये भी कहना है कि उसका भाई रविंद्र चौहान पिता पालेराम की हत्या का चश्मदीद गवाह था. जिसका शव बीते 21 जून 2014 को दिल्ली के नरेला के पास रेलवे ट्रैक पर पड़ा मिला और स्थानीय प्रशासन ने इसमें कोई जांच नहीं की. जिसके कारण रविंद्र चौहान की मौत आज भी एक राज बनी हुई है.
दोषियों का दिलवाई उम्रकैद
यूपी तक ने आकाश चौहान से बात की तो उन्होंने बताया कि, ‘जब उसके पिता की राजपाल चौहान व उसके लड़के सोनू उर्फ सूरज, कुलदीप, जितेंद्र ने हत्या करी थी तब आकाश एक निजी कंपनी में काम कर रहा था. इस मामले में पुलिस ने भी कई दफा गुमराह किया और संभलकर पैरवी नहीं की. जिसके कारण केस में बहुत डिले और लापरवाही बरती जा रही थी. इन हत्यारों को सजा दिलाने के लिए को आकाश लगातार कोर्ट के चक्कर लगा रहा था. तभी आकाश की मुलाकात तत्कालीन डीजीसी के पद पर तैनात के.के. सिंह से हुई और उन्होंने इनकी दास्तां को सुनकर लॉ करने की सलाह दे दी. जोकि इसके दिमाग में बैठ गई और सोचा पिता के आरोपियों को सजा दिलाने के लिए इससे अच्छा रास्ता आकाश को नहीं लगा और उसने भी ऐसा ही किया.
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लंबी चली अदालती लड़ाई
आकाश के गुरु और तत्कालीन डीजीसी के के सिंह ने बात करते हुए बताया कि, ‘आकाश के पिता की हत्या इस वजह से कर दी गई थी. क्या वह समाजसेवी थे और अवैध खान के खिलाफ आवाज उठाई थी. इसके बाद हत्यारे ने घर में घुसकर चार गोलियां मार दी थी, जिसके बाद मौत हो गई थी. आकाश उनके पास आया था और कानूनी सलाह मांगी थी तो उन्होंने आकाश को सलाह दी कि वह वकील बन जाए और अपने पिता के कैसे लड़ाई जिसके बाद आकाश ने लोगों की पढ़ाई की. 10 साल की कठोर तैयारी करने के बाद दो आरोपियों को उम्र कैद की सजा दिलाने में सफल हुआ जबकि दो सबूत है.
उन्होंने बताया कि, ‘क्या बात पर बड़ी हो गए आकाश के पिता की जब हत्या की गई थी तो आकाश जॉब करता था. इस बीच आकाश को कई तरीके की कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ा. जान से मारने की धमकी भी मिली पैसे देकर भी केस को रफा दफा करने की कोशिश की गई. इसमें से राजपाल नाम के जिस व्यक्ति को उम्र कैद की सजा हुई है. वह दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल है और जब उसके पिता की हत्या की गई थी तब वह सस्पेंड चल रहा था.’
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