डॉ आरिफ और औवेस ने पोस्टमॉर्टम हाउस में मृतक महिला के शव के साथ ऐसा क्या किया? हुए अरेस्ट
बदायूं में एक मृतका के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए पोस्टमॉर्टम हाउस भेजा गया. मगर वहां कुछ ऐसा हुआ कि अब पुलिस ने पोस्टमॉर्टम करने वाले दोनों डॉक्टरों को ही गिरफ्तार कर लिया है.
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Budaun News: डॉक्टरी का पेशा विश्वास का पेशा होता है. इंसान जिंदगी के दौरान डॉक्टरों पर आंख बंद करके भरोसा करता है तो वहीं जब कभी किसी की हत्या का केस सामने आता है, तो डॉक्टरों की ही जिम्मेदारी होती है कि वह शव का पोस्टमॉर्टम करके मौत की सच्चाई सामने लाए. मगर उत्तर प्रदेश के बदायूं में कुछ ऐसा हुआ, जिसे जान हर कोई सकते में हैं.
दरअसल यहां एक विवाहिता का उसके ससुराल में फंदे से लटकते हुए शव मिला. मृतका का नाम पूजा था. मृतका के परिजनों ने आरोप लगाया कि उनकी बेटी की ससुराल वालों ने हत्या की है. आरोप था कि पूजा को शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज के लिए परेशान कर रहे थे.
मौत की सच्चाई जानने के लिए पुलिस और परिजनों ने शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया. शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजने का मकसद ये था कि इससे पूजा की मौत की सच्चाई सामने आ जाए. मगर पोस्टमॉर्टम हाउस में जो हुआ, उससे पूरे बदायूं जिले में हड़कंप मच गया.
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शव की दोनों आंखें हो गई गायब
मिली जानकारी के मुताबिक, जिन डॉक्टरों की टीम मृतका के शव का पोस्टमॉर्टम कर रही थी, उसमें डॉ. आरिफ और डॉ. औवेस शामिल थे. पोस्टमॉर्टम हाउस में शव जाते समय शव की दोनों आंखें थी. मगर पोस्टमॉर्टम के बाद जब शव बंद होकर मृतका के घर भेजा गया तो शव की दोनों आंखें गायब थी.
जैसे ही आखिरी दर्शन के लिए परिजनों ने शव बाहर निकाला तो सभी लोग सकते में आ गए. शव की दोनों आंखें गायब थी. ये देख परिजन भड़क गए और उन्होंने पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों पर आरोप लगाने शुरू कर दिए. इस मामले में मृतका के परिजनों ने बदायूं जिलाधिकारी से भी मुलाकात की और मामले की शिकायत की. जिलाधिकारी ने भी मामले की जांच के लिए पैनल का गठन कर दिया.
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डॉ आरिफ और औवेस ने किया था पोस्टमॉर्टम
इस मामले में शक की सुई पोस्टमॉर्टम हाउस के अंदर ही घूम रही थी. माना जा रहा था कि पोस्टमॉर्टम के दौरान ही मृतका की आंखों के साथ गंदा खेल खेला गया है और आंखें गायब कर दी गई. जांच में दोनों आरोपी डॉक्टर दोषी पाए गए.
बता दें कि इस मामले में मृतका के भाई की तरफ से पोस्टमार्टम करने वाली मेडिकल टीम के खिलाफ मानव अंगों के प्रत्यार्पण अधिनियम की धारा-18 और शव को अपमानित करने की धारा-297 के तहत बीते 12 दिसंबर को सिविल लाइन थाने में केस दर्ज करवाया गया. पुलिस ने डॉ. आरिफ और डॉ. औवेस से पूछताछ करनी शुरू कर दी. इस दौरान दोनों डॉक्टर दोषी पाए गए और पुलिस ने दोनों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी.
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कोर्ट ने भेजा दोनों डॉक्टरों को जेल
बता दें कि इन दोनों आरोपी डॉक्टरों को कोर्ट ने जेल भेज दिया है. इस मामले पर थाना सिविल लाइंस के प्रभारी निरीक्षक (SHO) गौरव बिश्नोई का कहना है, प्रारंभिक जांच के दौरान दोषी पाए गए डॉ. मो आरिफ और डॉ. ओवैस को गिरफ्तार कर लिया गया है. दोनों आरोपी डॉक्टरों को कोर्ट के सामने पेश किया गया है. ट्रायल के बाद कोर्ट ने दोनों को जेल भेजने के आदेश दे दिए. इस मामले में पोस्टमॉर्टम करने वाले कुछ और मेडिकल स्टॉफ की भी संलिप्तता पाई गई है. शीघ्र उनके खिलाफ भी गिरफ्तारी की कार्रवाई की जाएगी.
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