प्रयागराज: गंगा-यमुना मचाती हैं तबाही फिर भी बाढ़ आने के लिए की जाती है प्रार्थना,जानें वजह

पंकज श्रीवास्तव

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देश ही नहीं बल्कि समूची दुनिया में नदियां जब भी अपना दायरा तोड़कर बाहर आती हैं, तो तबाही ही मचाती हैं. यही वजह है कि बाढ़ का नाम सुनते ही लोग चिंता में डूब जाते हैं. हर जगह बाढ़ जहां आफत बन कर अपना कहर बरपाती है वही प्रयागराज में बाढ़ का बेशब्री से इंतजार किया जाता है. बाढ़ आने के लिए प्रार्थना की जाती है.

प्रयागराज में गंगा-यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. जिससे कई इलाके जलमग्न होने वाले हैं. फिर भी यहां लोग गंगा का स्वागत करते हैं. जिसका इंतजार सभी को रहता है. मान्यता है कि संगम के लेटे हनुमान गंगा पुत्र को मां गंगा हर वर्ष स्नान कराने आती हैं और जिससे पूरे देश मे सुख शांति रहती है. जब मां गंगा स्नान नहीं करा पातीं तो तमाम परेशानियां उत्पन्न होने लगती है.

ऐसे मनाई जाती है बाढ़ की खुशियां

रास्तों और पार्क को पार करते हुए मंदिर में दाखिल होने वाले बाढ़ के पानी पर फूलों की बारिश की जाती है. हालांकि बाढ़ का पानी अंदर आने पर लोगों की जिंदगी को सुरक्षित रखने के मकसद से मंदिर को बंद करना पड़ता है, लेकिन इन सबके बावजूद मंदिर से जुड़े महंत और पुजारियों के साथ ही हजारों श्रद्धालुओं को इस बार भी बाढ़ का बेसब्री से इंतजार है. दरअसल यहां बाढ़ का इंतजार किसी खास वजह से किया जाता है. जिसमे हजारों लोगों की आस्था शामिल होती है और रोमांच भी होता है.

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प्रयागराज में संगम किनारे पवन पुत्र हनुमान जी का एक ऐसा अनूठा मंदिर हैं, जहां बजरंग बली लेटे हुए अवस्था में अपने भक्तों को दर्शन देते हैं. यह दुनिया का इकलौता ऐसा मंदिर हैं, जहां बजरंग बली की लेटी हुई प्रतिमा है. इन्हे यहां जल भी चढ़ाया जाता है.

ये है इस मंदिर की कथा

इस मंदिर की कथा त्रेतायुग में रामायण काल से भी जुड़ी हुई है. मंदिर के पुजारियों के मुताबिक त्रेता युग में लंका का युद्ध जीतने के बाद अयोध्या जाने से पहले भगवान राम पुष्पक विमान से संगम पर भारद्वाज मुनि का आशीर्वाद लेने के लिए आए थे. लंका युद्ध में शरीर पर तमाम चोट आने की वजह से हनुमान जी यहां थक कर लेट गए थे. मान्यता है कि उस वक्त मां जानकी ने उनके शरीर पर अपने सिन्दूर का लेप लगाया था और उन्हें आरोग्यता का आशीर्वाद दिया था.

प्रयागराज के कोतवाल हैं बजरंगबली

संगम किनारे लेटी हुई अवस्था में विराजमान बजरंग बली को प्रयागराज का कोतवाल भी माना जाता है. गंगा नदी के तट से यह मंदिर 500 मीटर से ज्यादा दूर है. मान्यता है कि गंगा मइया जिस साल नदी के दायरे से बाहर आकर हनुमान जी के इस मंदिर तक आकर अपने पुत्रवत बजरंग बली को स्नान कराती हैं तो उस साल प्रयागराज में कोई प्राकृतिक आपदा नहीं होती. किसी को अकाल मौत का सामना नहीं करना पड़ता. प्रयागराज में होने वाले सभी आयोजन बिना किसी बाधा के शांतिपूर्वक संपन्न होते हैं. यहां हर तरफ खुशहाली ही खुशहाली रहती है. यहां बाढ़ का पानी तबाही मचाने के लिए नहीं आता, बल्कि यहां गंगा मइया अपने पुत्रवत बजरंग बली से मिलने और उन्हें अपनी आगोश में लेने के लिए आती हैं. यहां खुशी इसी अनूठे मिलन की मनाई जाती है.

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प्रयागराज के लोगों को इस बात का विश्वास हो चुका है कि गंगा जब विकराल रूप धारण कर इस मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचकर बजरंग बली को स्नान करा देती हैं तो उनका पूरा साल बहुत अच्छा बीतता है. कोई प्राकृतिक आपदा नहीं आती है.

प्रयागराज में गंगा और यमुना तेजी से बढ़ने लगी हैं. संगम की सड़कों पर गंगा-यमुना के पानी आ गया है. जिन सड़कों पर गाड़ियां फर्राटे भरती थीं वहां आज नाव चल रही है. लोग अपना सामान निकालने में जुटे हुए हैं. हालांकि बाढ़ का पानी जब इस मंदिर तक आ जाता है तो वह बजरंगबली को नहलाने के साथ ही कई मोहल्लों में आबादी के बीच घुसकर तबाही भी मचाता है.

इस बार भी गंगा का जलस्तर बढ़ने का बेशब्री से है इंतजार

लोगों को इस बार भी गंगा की बाढ़ का पानी मंदिर तक आने का बेसब्री से इन्तजार कर रहे है. मंदिर तक पानी पहुंचने में अब 50 मीटर ही बचा है. ऐसे ही दोनों नदियों का जलस्तर बढ़ता रहा तो बहुत जल्द लेटे हनुमान मंदिर तक पानी पहुंच जाएगा और मां गंगा हनुमान जी को नहला देंगी.

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