एक 27 साल तो दूसरा 25 साल में भी पूरा नहीं कर पाया MBBS की पढ़ाई, अब KGMU ने लिया ये फैसला
Lucknow News: छात्र परीक्षा में फेल होते हैं और अगली बार ज्यादा मेहनत कर परीक्षा में अच्छे अंको के साथ पास भी हो जाते हैं.…
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Lucknow News: छात्र परीक्षा में फेल होते हैं और अगली बार ज्यादा मेहनत कर परीक्षा में अच्छे अंको के साथ पास भी हो जाते हैं. मगर तब क्या हो जब कोई छात्र पिछले 25 सालों से लगातार पेपर दे रहा हो और वह परीक्षा में पास ही नहीं हो पा रहा हो? दरअसल इस समय लखनऊ का किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी यानी KGMU काफी चर्चाओं में बना हुआ है. दरअसल KGMU ने सख्त फैसला लेते हुए ऐसे 4 एमबीबीएस छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया है, जो पिछले करीब 21 से 25 सालों से एमबीबीएस की परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे. ये चारों छात्र पिछले करीब 21 से 25 सालों से KGMU से एमबीबीएस की ही पढ़ाई कर रहे थे. मगर ये चारों कई कोशिशों के बाद भी परीक्षा पास नहीं कर पा रहे थे.
1997 से लेकर 2006 बैच तक के छात्रों पर कार्रवाई
मिली जानकारी के मुताबिक, जिन छात्रों पर कार्रवाई हुई है, उनमें सबसे पुराना छात्र साल 1997 बैच का है. इसके बाद 1999 बैच, ,2001 बैच के छात्र भी इसमें शामिल हैं. इनमें चौथा और आखिरी छात्र साल 2006 बैच का है, जिसपर केजीएमयू ने कार्रवाई की है.
जब मन आता परीक्षा में बैठ जाते थे ये छात्र
दरअसल किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अभी तक एमबीबीएस परीक्षा पास करने की अधिकतम अवधि तय नहीं थी. इन्हीं कारणों से ये सभी छात्र जब मन करता या एमबीबीएस की परीक्षा पास आती तो एग्जामिनेशन फॉर्म भरते और परीक्षा में बैठ जाते. मगर अब इन चारों का एडमिशन रद्द कर दिया गया है.
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क्या कहा किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी प्रशासन ने
इस पूरे मामले पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्रवक्ता डॉ सुधीर कुमार का कहना है कि कमजोर छात्रों की लिस्ट बनाई गई थी. ये निर्देश जारी किए गए थे कि जो छात्र पढ़ाई में कमजोर हैं, उनको 1 साल तक अलग से क्लास लेनी होगी, जिससे पता चल सके कि छात्रों में कमजोरी कहां हैं?
डॉ सुधीर कुमार का कहना है कि जिन छात्रों पर कार्रवाई की गई है, वह मनमर्जी के हिसाब से परीक्षा देते थे या छोड़ देते थे. वह सोचते थे कि परीक्षा पास करने की कोई समय सीमा तय नहीं है. मगर अब ऐसा नहीं होगा. अब जिन छात्रों को परीक्षा पास करनी है अब उन्हें 1 साल तक लगातार क्लास करनी होगी. उन्होंने आगे बताया कि नेशनल मेडिकल कमीशन के मानकों के आधार पर कार्य परिषद ने अब यह तय किया है कि अगर 10 साल में कोई भी छात्र परीक्षा नहीं पास कर पाता है तो उसकी एमबीबीएस की पढ़ाई को निरस्त कर दिया जाएगा.
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