जानिए उस केस की पूरी कहानी जिसके लिए बाहुबली मुख्तार को बांदा से लखनऊ में किया गया पेश

भाषा

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बाहुबली मुख्तार अंसारी को 22 साल पुराने मारपीट के एक मामले में बांदा जेल से कड़ी सुरक्षा के बीच लखनऊ के एमपी/ एमएलए अदालत के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव की अदालत में सोमवार को पेश किया गया.

अदालत ने आरोपी मुख्तार के खिलाफ आरोप तय करते हुए अभियोजन साक्ष्य के लिए अगले आठ अप्रैल की तारीख नियत की है.

मुख्तार अंसारी के पंजाब की एक जेल में निरूद्ध होने कारण उन पर आरोप तय नहीं हो पा रहे थे. बाद में उन्हें मुकदमे की सुनवाई एवं आरोप तय करने के लिए पंजाब से प्रदेश की बांदा जेल में स्थानांतरित किया गया. मुख्तार अंसारी को अदालत ने आरोप तय करने के लिए बांदा जेल से 28 मार्च के लिए तलब किया था.

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पत्रावली के अनुसार, लखनऊ जेल के तत्कालीन कारापाल एसएन द्विवेदी ने 3 अप्रैल 2000 को आलमबाग थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि 29 मार्च, 2000 को जेल से पेशी से लौटे बंदियों को जेल के अंदर लिया जा रहा था. उसी दौरान क्वारेंटीन (पृथकवास) बैरक में बंद मुख्तार अंसारी के साथी यूसुफ चिश्ती,आलम, कल्लू पंडित और लालजी यादव ने बंदी चांद को बुरी तरह से मारना शुरू कर दिया, जिसकी चीखने की आवाज पर वादी और अन्य कर्मचारी चांद को बचाने गए तो आरोपियों ने जेल कर्मियों पर हमला बोलते हुए पथराव शुरू कर दिया और जानमाल की धमकी देते हुए बैरक में भाग गए.

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