नोएडा: जानिए क्या है डिजिटल रेप? इसी अपराध में 65 वर्षीय बुजुर्ग को मिला आजीवन कारावास
गौतमबुद्ध नगर कोर्ट ने एक 65 वर्षीय बुजुर्ग को डिजिटल रेप का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही आरोपी अकबर…
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गौतमबुद्ध नगर कोर्ट ने एक 65 वर्षीय बुजुर्ग को डिजिटल रेप का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही आरोपी अकबर पर 50 हजार का जुर्माना भी लगाया है. अगर आरोपी जुर्माने की रकम नही भर पाता है तो उसे 6 महीने अतरिक्त जेल की सजा काटनी होगी.
मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षो के वकीलों की बहस हुई. इस दौरान कोर्ट में 8 गवाह पेश हुए. जिसके बाद अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार ने दोनों वकीलों की जिरह और गवाहों के साक्ष्य देख कर 65 वर्षीय अकबर को आरोपी मानते हुए अजीवन कारवास और 50 हजार का जुर्माना लगाया है. आरोपी अकबर मूलरूप से बंगाल का रहने वाला है.
घटना के दौरान वो नोएडा के सरदपुर में रहता था. अभियोजन अधिकारी नीटू बिश्नोई ने जानकरी देते हुए बताया कि मामला 21 जनवरी 2019 का है. आरोपी ने नाबालिग के साथ डिजिटल रेप की घटना को अंजाम दिया था.
जिसके बाद नाबालिग बच्ची के परिजनों ने आरोपी अकबर के खिलाफ थाना सेक्टर 39 में मुकदमा दर्ज करवाया था. जिसका चार्जसीट कोर्ट में दाखिल किया गया था. फिलहाल गौतमबुद्ध नगर अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार ने आरोपी अकबर को आजीवन कारावास और 50 हजार का जुर्माना लगाया है.
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बता दें कि डिजिटल रेप शब्द नोएडा में हाल में चर्चा में आया था, जब एक मशहूर पेंटर ने एक बच्ची के साथ डिजिटल रेप की घटना को अंजाम दिया. पीड़िता के शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था. दरसल डिजिटल रेप का अर्थ इंटरनेट के माध्यम से उत्पीड़न नहीं बल्कि पीड़ित के साथ आरोपी द्वारा हाथ-पैर से किया गया उत्पीड़न है.
जानिए क्या है डिजीटल रेप
इस अपराध को 2013 के आपराधिक कानून संशोधन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता में जोड़ा गया, जिसे “निर्भया अधिनियम” भी कहा जाता है. UP Tak बता रहा है कि इसका क्या मतलब है और इसका क्या असर होगा. डिजिटल रेप यानी एक महिला के यौन उत्पीड़न के लिए हाथ या पैर की उंगलियों का उपयोग करने की शारीरिक क्रिया भी है. वर्ष 2013 के बाद अब दुष्कर्म केवल ‘सहवास’ की क्रिया तक सीमित नहीं है. सीनियर एडवोकेट गीता लूथरा का कहना है कि इस अपराध को आईपीसी में जोड़ा गया था क्योंकि कई उदाहरण थे जहां हाथों या खिलौनों के माध्यम से एक महिला का यौन उत्पीड़न किया गया था जो पहले बलात्कार कानून के तहत नहीं आता था.
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2013 के संशोधनों के बाद यौन हमले को अधिक व्यापक रूप से परिभाषित किया गया है. अब यौन अंगों को छूना भी बलात्कार की श्रेणी में आता है. उंगलियों या खिलौनों के उपयोग को भी रेप की परिभाषा के दायरे में लाया गया है क्योंकि ऐसे कई मामले थे जहां एक लड़की को छुआ जाता था, लेकिन सहवास की कार्रवाई नहीं की जाती थी. इसका मतलब था कि अपराधियों को बरी कर दिया जाएगा, इसलिए प्रावधान का विस्तार करने का निर्णय लिया गया.
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