UP में 2014 से कैसे ‘विजय रथ’ पर सवार हुई BJP, 2022 में क्या होगा? जानिए एक्सपर्ट की राय

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यूपी तक लगातार अलग-अलग राजनीतिक विश्लेषकों से बात करके राज्य की सियासत को लेकर…

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उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यूपी तक लगातार अलग-अलग राजनीतिक विश्लेषकों से बात करके राज्य की सियासत को लेकर उनकी राय आप तक पहुंचा रहा है. इसी क्रम में हमने CSSP, कानपुर के डायरेक्टर डॉ. एके वर्मा से खास बातचीत की और उनसे कई अहम सवाल पूछे.

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इस बातचीत के दौरान डॉ. वर्मा ने इस बारे में अपनी राय भी दी कि 2014 से यूपी में बीजेपी की सफलता के पीछे किस पहलू का बड़ा हाथ है.

उन्होंने कहा, ”उत्तर प्रदेश में जब मायावती और मुलायम सिंह के बीच दरारें पैदा हुईं, 1995 के गेस्ट हाउस कांड के बाद, तो इसके बाद कास्ट आइडेंडिटी पर बात आ गई… उत्तर प्रदेश के सोशल डिवीजन को देखें तो 19 फीसदी अपर कास्ट, 41 फीसदी ओबीसी, 20 फीसदी दलित और 19 फीसदी मुस्लिम हैं. आप कास्ट पॉलिटिक्स करेंगे तो आप कहां जाएंगे? इसका दायरा काफी सीमित होता है. मुलायम सिंह ने ओबीसी पॉलिटिक्स की तो वो यादवों पर ज्यादा केंद्रित दिखी. मायावती ने दलित पॉलिटिक्स की तो जाटवों पर ज्यादा केंद्रित दिखी.”

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इसके आगे उन्होंने कहा, ”बीजेपी 2014 से जिस राजनीति को आगे बढ़ा रही है, आप खुद सोचिए जो पार्टी 10-15 फीसदी वोट पाती थी, अचानक वो 38 फीसदी, 40 फीसदी और 50 फीसदी वोट कैसे पाने लगी? बीजेपी जो पॉलिटिक्स कर रही है, वो आइडेंटिटी पॉलिटिक्स नहीं है, बल्कि ये समावेशी राजनीति है. इसका मतलब होता है कि आप जातियों को अपने में मिलाइए. उनकी पहचान और अस्मिता को खराब मत करिए, लेकिन अपने में आप मिला लीजिए.”

क्या उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने कुछ ऐसा किया है, जिससे लोगों को लगे कि यह नहीं होना चाहिए था और हमें सरकार को बदलना है? इस सवाल पर डॉ. वर्मा ने कहा, ”कोविड में एक स्थिति ऐसी आई थी. कोविड में जो स्थितियां देश में थीं, वो उत्तर प्रदेश में भी थीं. उस समय लोगों में नाराजगी, गुस्सा सब कुछ था. लेकिन जैसे-जैसे चीजें सेटल हुईं और विदेशों से भी बड़ी संख्या में मौतों की खबरें आईं, खासकर विकसित देशों से, तो लोगों को लगा कि कोई भी सरकार होती तो ऐसा ही हश्र होता क्योंकि हमारे पास जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं था.”

इसके आगे उन्होंने कहा, ”लेकिन इस दौरान विपक्षी दलों ने मौका गंवा दिया. सरकार तो जो थी, वो थी ही, लेकिन सरकार के जो सांगठनिक सहयोगी हैं, उन्होंने कोविड में लोगों की बहुत मदद की. मगर विपक्षी दलों का कोई भी कैंप, कोई भी राहत का प्रयास लोगों को देखने को नहीं मिला… राजनीति ट्विटर से नहीं चलती है. राजनीति जमीनी हकीकत से चलती है.”

इसके अलावा उन्होंने 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से जुड़े कई और सवालों को लेकर भी अपनी राय जाहिर की, जिसे आप ऊपर दिए गए वीडियो में देख सकते हैं.

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