UP चुनाव: बदायूं की इस विधानसभा सीट पर कभी नहीं जीती बीजेपी, क्या इस बार मिलेगी जीत?
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान सपन्न हो चुका है. अब सभी पार्टियां दूसरे चरण के मतदान के लिए प्रचार-प्रसार में जुट…
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान सपन्न हो चुका है. अब सभी पार्टियां दूसरे चरण के मतदान के लिए प्रचार-प्रसार में जुट…
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान सपन्न हो चुका है. अब सभी पार्टियां दूसरे चरण के मतदान के लिए प्रचार-प्रसार में जुट गई हैं. इस बीच, हम आपको प्रदेश के विधानसभा सीटों का सियासी हाल बता रहे हैं.
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इसी क्रम में हम आपको आज बदायूं जिले की सहसवान विधानसभा सीट का सियासी समीकरण बताने जा रहे हैं. इस सीट से सत्ताधारी बीजेपी कभी नहीं जीती है.
यह सीट समाजवादी पार्टी का (एसपी) का गढ़ कहा जाता है. साल 1993 से एसपी का इस सीट पर दबदबा रहा है. हालांकि, इस सीट पर एक बार बदलाव देखने को मिला था और वो किया था डीपी यादव ने.
इस सीट का सियासी इतिहास क्या है?
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पिछले 3 चुनावों की बात करें तो साल 2007 में राष्ट्रीय परिवर्तन दल के टिकट पर डीपी यादव जीते थे, जबकि 2012 और 2017 के विधानसभा चुनाव में ओमकार सिंह यादव एसपी के टिकट पर जीते थे.
इस बार एसपी ने मौजदा विधायक ओमकार सिंह यादव की जगह उनके बेटे बृजेश यादव को टिकट दिया है. वहीं बीएसपी ने हाजी बिट्टन मुशरत को अपना प्रत्याशी बनाया है, जबकि बीजपी ने डीके भारद्वाज को मैदान में उतारा है.
क्या इस बार इस सीट पर होगा कोई बढ़ा फेरबदल या फिर इतिहास खुद को दोहरायेगा? इसका जवाब पाना है तो सबसे पहले यहां के जातीय आंकड़ों पर नजर डालते हैं.
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इस सीट पर (मुस्लिम-यादव) कॉम्बिनेशन ही सबसे अहम रहा है. मुस्लिम वोटर्स यहां पर 95000 हैं, जबकि यादव मतदाता 90000 हैं. वहीं, मौर्य-शाक्य करीब 35000 और जाटव करीब 20000 मतदाता हैं. यहां ठाकुर, वैश्य, ब्राह्मण भी अच्छी- खासी संख्या में है. ऐसे में इन समुदायों की हार-जीत में निर्णायक भूमिका रहेगी.
इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि इस सीट से किसके हाथ में जीत की बाजी लगती है. बता दें कि दूसरे चरण में यानी 14 फरवरी को यहां पर वोटिंग होनी है, जबकि नतीजे 10 मार्च को आएंगे.
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