लखीमपुर खीरी: राकेश टिकैत ने कैसे कराया किसानों और सरकार बीच समझौता, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

कुमार अभिषेक

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में रविवार 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद से राजनीति गर्म है. इस मुद्दे को लेकर…

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के तिकुनिया इलाके में रविवार 3 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद से राजनीति गर्म है. इस मुद्दे को लेकर तमाम विपक्षी पार्टियां योगी सरकार पर हमलावर हैं. बता दें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव समेत तमाम नेताओं के लखीमपुर खीरी जाने की कोशिश को लेकर सरकार की दिक्कतें बढ़ गई थीं. ऐसे में योगी सरकार के काम वो राकेश टिकैत आए जो पिछले कई महीनों से केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलन कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में पढ़िए कि कैसे राकेश टिकैत ने किसानों को मनाया.

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यूपी प्रशासन ने सभी नेताओं को लखीमपुर खीरी और तिकुनिया पहुंचने से रातों-रात रोक लिया. प्रियंका गांधी को सीतापुर में रोका गया, चंद्रशेखर आजाद को सीतापुर टोल प्लाजा पर रोका गया, तो किसी को लखीमपुर पहुंचते ही हिरासत में लिया गया. अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत कई और नेताओं को लखनऊ में रोक लिया गया. मगर इस बीच भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत को लखीमपुर खीरी पहुंचने दिया गया.

राकेश टिकैत गाजीपुर बॉर्डर से रातों-रात चले और देर रात ही लखीमपुर खीरी के तिकुनिया के उस गुरुद्वारे में पहुंच गए जहां चारों किसानों के शव रखे हुए थे. किसान किसी सूरत में चारों शवों के पोस्टमॉर्टम के लिए तैयार नहीं थे. मांग थी कि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर मुकदमा दर्ज हो उनके बेटे को गिरफ्तार किया जाए. इसके अलावा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी इस्तीफा दें, जिसके बाद ही कोई बात होगी.

किसानों की भारी नाराजगी को देखते हुए ऐसा लग रहा था कि सरकार के लिए किसानों को मनाना बेहद मुश्किल होगा, लेकिन राकेश टिकैत को वहां जाने देना सरकार के लिए बड़ी राहत साबित हुई. एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार, आईजी जोन (लखनऊ) लक्ष्मी सिंह और कमिश्नर (लखनऊ) रंजन कुमार लगातार तिकुनिया के इस गुरुद्वारे में किसानों से संपर्क में थे. लेकिन समझौते की राह तब निकली जब राकेश टिकैत ने किसानों की तरफ से मोर्चा संभाला और किसानों की तरफ से सरकार से बात की.

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सरकार के लिए एक और बड़ी समस्या यह थी कि अगर किसान नहीं मानते तो प्रधानमंत्री के दौरे पर भी असर पड़ता जो अगले 24 घंटे के भीतर होगा. सरकार के सूत्रों की मानें तो राकेश टिकैत से संपर्क साधा गया और उनसे किसानों को मनाने और उनके शवों का पोस्टमॉर्टम कराने के लिए तैयार कराने का आग्रह किया गया. कई घंटे की बातचीत और मृतक किसानों के परिवारों को विश्वास में लेने के बाद सरकार समझौते पर पहुंची और इसमें राकेश टिकैत ने अहम भूमिका निभाई.

सूत्रों के मुताबिक, राकेश टिकैत ने जब लखीमपुर खीरी कूच करने का ऐलान किया, तभी से उनसे संपर्क साधने को कहा गया और यही वजह है कि जब मेरठ के पास उन्हें रोकने की कोशिश हुई तो सरकार ने देर रात उन्हें आसानी से जाने दिया.

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राकेश टिकैत को कहीं रोकने की कोशिश नहीं हुई, राकेश टिकैत के लखीमपुर खीरी पहुंचते ही प्रशासन ने उनसे संपर्क किया और कई दौर की वार्ता के बाद समझौता हो गया.

समझौता रिटायर्ड जज से मामले की न्यायिक जांच, प्रत्येक मृतक किसान परिवार को 45 लाख रुपये का मुआवजा, घायलों के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा, 8 दिनों के अंदर मुख्य अभियुक्त की गिरफ्तारी और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की बात पर हुआ.

इन बातों पर समझौते होने के बाद राकेश टिकैत और एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की.

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