UP: 8 सालों से शिक्षकों के खाते से कट रही जीवन बीमा की राशि, आज तक किसी को नहीं मिला लाभ
उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पिछले 8 सालों से यहां शिक्षकों के खाते से जीवन बीमा…
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उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग में चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां पिछले 8 सालों से यहां शिक्षकों के खाते से जीवन बीमा की राशि कट रही है, लेकिन आज तक किसी को भी इसकी का कोई लाभ नहीं मिला. परिषद के स्कूलों में एक अप्रैल, 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक और कर्मचारी बेवजह अपने वेतन से हर माह 87 रुपये से अधिक की कटौती कर रहे हैं.
गौर करने वाली बात है कि एलआईसी ने 31 मार्च 2014 को ही समूह जीवन बीमा पॉलिसियों संख्या 4521 और 116846 शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों को बंद कर दिया था. 31 मार्च 2014 से पहले नियुक्त शिक्षक इस योजना के दायरे में आते हैं, लेकिन इस तिथि के बाद नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को आठ साल बाद भी उनके वेतन से काटा जाता है. हालांकि, वे कवर नहीं होते हैं.
अगर राज्यभर के डेढ़ लाख रुपये से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत 4.5 लाख रुपये से अधिक शिक्षकों में से दो लाख शिक्षकों को भी 1 अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त माना जाता है, तो उन शिक्षकों को दिया जाएगा.
87 रुपये प्रति माह की दर से सरकार करीब ढाई करोड़ रुपये बेवजह दिए जाते हैं, क्योंकि 1 अप्रैल 2014 के बाद नियुक्त शिक्षक की मृत्यु होने पर न तो एक लाख रुपये की बीमा राशि प्राप्त होती है और न ही कटौती के रूप में परिवार को लौटाई गई राशि वापस की जाती है.
समूह बीमा योजना 31 मार्च 2014 से बंद है लेकिन कटौती की प्रक्रिया जारी है। कई बार अधिकारियों से कटौती रोकने को कहा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. 31 मार्च 2014 के बाद नियुक्त शिक्षकों पर लगाये गये शुल्क को ब्याज सहित चुकाना होगा.
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प्रदेशभर के बेसिक परिषदीय विद्यालयों में तैनात शिक्षकों की स्थिति है, जबकि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआइसी) ने शिक्षक व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की सामूहिक जीवन बीमा पालिसी संख्या क्रमंक 4521 व 116846 को 31 मार्च 2014 को बंद कर दिया है.
ऐसे ही एक टीचर महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि पिछले 7 सालों से उनकी तनखा से बीमा के पैसे काटे जाते हैं लेकिन कभी भी उसका लाभ होने नहीं मिला है. सिंह के मुताबिक, जिस तरह से वह काम करते हैं चाहे चुनाव में ड्यूटी हो स्वास्थ्य योजनाओं का विस्तारीकरण या फिर टीकाकरण से लेकर के गोविंद महामारी में घर-घर अभियान में काम करने के बावजूद भी उन्हें और उनके परिवार को कोई भी बीमा की कवरेज नहीं मिला है. ऐसी कई शिक्षक है जिनकी मृत्यु के बाद भी उन्हें कोई सरकारी मदद नहीं मिली है.
शिक्षक संघ के प्रतिनिधि निर्भय सिंह कहते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कई परिवारों में अपनों को खोया है और वही पंचायत चुनाव में हुई ड्यूटी पर गए शिक्षक भी कोरोना के ग्रसित होने के बाद चल बसे.
ऐसे कई शिक्षकों को जरूरत के समय मदद नहीं मिली लेकिन बाद में लंबी लड़ाई के बाद उनके परिवारों को मुआवजा मिल पाया लेकिन बीमा की कोई भी राशि आज तक इन परिवारों को नहीं मिली है.
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ऐसी एक पीड़ित है रेखा के पति बेसिक शिक्षा के स्कूल में कार्यरत है लेकिन पंचायत चुनाव में ड्यूटी करने के बाद जब घर लौटे तो कभी वापस नहीं आए. रेखा के पति उन्नाव में थे ,इनकी नियुक्ति 2015 में हुई थी , इनके पति की मृत्यु 2021 में हुई लेकिन 87 का लाभ इन्हे नही मिला.
इसके बाद परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा था ऐसे में बीमा का कोई भी लाभ उनको नहीं मिला. रेखा कहती है कि किस्त के तौर पर ₹87 कटते रहे लेकिन कोई मदद विभाग की तरफ से नहीं मिली. अपने पति को याद करते हुए रेखा इस योजना पर सवाल खड़े कर रही हैं.
ऐसा ही हाल कंचन का भी है जिनके पति पंचायत चुनाव से पहले ट्रेनिंग में गए लेकिन वापस आने पर कोरोना ग्रसित हो गए इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई. प्रदीप कश्यप, सिद्धार्थ नगर में नियुक्त प्रदीप कश्यप की नियुक्ति 2015 में हुई थी , इनकी भी मृत्य मे मई 2021 में हुई, पत्नी के पास ना तो कोई नौकरी है ना ही आगे का कोई सहारा और ऐसे में मृत्यु के तुरंत बाद बीमा की राशि ना मिलने से उन्हें भारी आर्थिक संकट से जूझना पड़ा. हालांकि, बाद में परिवार को मुआवजे की राशि मिली लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
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देखने वाली बात ये है 31 मार्च 2014 के पूर्व नियुक्त शिक्षक तो इस बीमा योजना से लाभांवित हैं, लेकिन बाद में नियुक्त शिक्षकों और कर्मचारियों को योजना में कवर नहीं मिल रहा, फिर भी उनके वेतन से आठ साल से कटौती जारी है.
एक अनुमान के मुताबिक, अब तक 8 सालों में 208 करोड़ रुपये के लगभग राशि सरकार के खाते में गई है, लेकिन ना तो इस योजना को कोई लाभ मिला और ना ही इस राशि का कोई अता पता है.
दूसरी तरफ विभाग के पास इसका जवाब के तौर पर सिवाय आश्वासन के कुछ नहीं है. यूपी तक से बात करते हुए यूपी शिक्षा महानिदेशक विजय किरन आनंद ने कहा शिक्षकों की पारिवारिक सुरक्षा के लिए समूह ग्रुप इंश्योरेंस पॉलिसी के तहत नया खाका तैयार कर लिया गया है और बहुत जल्दी परिवारों को उसका लाभ मिलने लगेगा.
वहीं मार्च 2014 की बात हुई नियुक्तियों की कटौती को ना मानते हुए आनंद ने कहा कि जिन भी लोगों का ऐसा हुआ है उन्हें मैं योजना में समावेश किया जाएगा लेकिन मौजूदा तौर पर राशि नहीं कट रही है.
वहीं विभाग के दावों को खोखला साबित करते हुए कर्मचारी अपनी सैलरी स्लिप दिखाते हैं जिसमें अगस्त महीने तक ₹87 की राशि काटी जा रही है. यूपी तक से बात करते हुए का शिक्षक होने अपनी इसी समस्या को सामने रखते हुए पूछा कि अगर सरकार जीवन बीमा योजना का लाभ नहीं दे सकते हैं तो फिर यह पैसा काट कर क्या दिखा रही है.
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