SC ने यूपी बोर्डिंग स्कूल में लड़की की मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपी

भाषा

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सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई करने वाली 14 वर्षीय लड़की की मौत की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी है. लड़की के अभिभावकों ने मामले में रेप और हत्या का आरोप लगाया है.

न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति सीटी रवि कुमार की पीठ ने उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकारों को चार सप्ताह के भीतर संबंधित मामले की फाइल और दस्तावेज सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया.

पीठ ने निर्देश दिया, ‘‘हमने ऐसे वक्त याचिकाकर्ता द्वारा की गई शिकायत का संज्ञान लिया है जो लड़की की मां हैं और जिन्होंने 14 साल की अपनी नाबालिग बेटी को खो दिया जब जांच अधिकारी द्वारा क्लोजर रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है.’’

पीठ ने अपने हालिया आदेश में कहा, ‘‘इससे पहले कि हम मामले को आगे बढ़ाएं जांच के संबंध में कागजात, दस्तावेज उत्तर प्रदेश और हरियाणा द्वारा प्राथमिकी के संदर्भ में प्रतिवादी संख्या चार (सीबीआई) को सौंपे जाएं. प्रतिवादी संख्या चार को याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोपों की चार सप्ताह के भीतर जांच करने की अनुमति दी जाती है.’’

पीठ मामले में आगे 11 जुलाई को सुनवाई करेगी. शीर्ष अदालत का यह आदेश लड़की की मां द्वारा पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया है जिसमें उसने जांच सीबीआई को स्थानांतरित करने से इनकार कर दिया था.

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याचिका के अनुसार, लड़की 2020 में अपने बोर्डिंग स्कूल की कक्षा में लटकी हुई पाई गई थी जिसके बाद उसके माता-पिता ने आरोप लगाया कि यह रेप और हत्या का मामला है. लड़की की मां ने आरोप लगाया था कि यह कथित रेप और हत्या का जघन्य अपराध है और बाद में परिवार के सदस्यों का अपहरण कर लिया गया.

परिवार ने आरोप लगाया कि जब उन्हें स्कूल बुलाया गया, तो यह सुनिश्चित करने के लिए उनके फोन और अन्य सामान छीन लिए गए कि कोई तस्वीर नहीं ले या पुलिस को नहीं बुलाए. याचिका में कहा गया है कि स्कूल के प्राचार्य के निर्देश पर दो लोगों ने उन्हें जबरदस्ती एक वाहन में बिठाकर हरियाणा के एक गांव में छोड़ दिया जहां वे रहते हैं.

हरियाणा में उन्होंने अपहरण का मामला दर्ज कराया था और उत्तर प्रदेश में बलात्कार और हत्या का मामला दर्ज कराया था. दोनों राज्यों में पुलिस द्वारा कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाते हुए लड़की के अभिभावकों ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का रुख किया.

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