आम्रपाली बिल्डर से घर खरीदने वालों को मिली बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने कर दी ये व्यवस्था
आम्रपाली बिल्डर की हाउसिंग परियोजनाओं में फ्लैट और प्रॉपर्टी खरीदकर फंसे खरीददारों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. इस मामले में सोमवार को…
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आम्रपाली बिल्डर की हाउसिंग परियोजनाओं में फ्लैट और प्रॉपर्टी खरीदकर फंसे खरीददारों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. इस मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बैंकों को चार बड़े आदेश दिए हैं, जिनसे फ्लैट खरीदारों को बड़ी सहूलियत मिलेंगी.
इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि ‘इस समस्या के लिए जितना बिल्डर जिम्मेदार है, बैंक भी उतने ही जिम्मेदार हैं.’ लिहाजा बिल्डर से जुड़ी बकायादारी फ्लैट खरीदारों से वसूल नहीं की जा सकती है.
अदालत ने ये भी आदेश दिया है कि फ्लैट की पजेशन मिलने के बाद ही बैंक कर्ज वसूली शुरू करेंगे. आम्रपाली परियोजनाओं में ईएमआई के आधार पर किस्तों में बकाया चुकाने की योजना के तहत घर, मकान, दुकान, दफ्तर की जगह खरीदने वाले हजारों खरीदारों के हित में सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वह ऐसे ग्राहकों के होम लोन अकाउंट को नॉन प्रोडक्टिव एसेट्स यानी एनपीए या फंसी रकम वाले खातों की श्रेणी में नहीं रखें.
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सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वो घर खरीदारों पर ईएमआई भुगतान में चूक होने पर जुर्माना ना लगाएं. अपने आदेश में जस्टिस यूयू ललित और बेला माधुर्य त्रिवेदी की पीठ ने यह भी साफ किया है कि बैंक गृह ऋण की मूल राशि और उस पर लगने वाले ब्याज की रकम लेने के हकदार होंगे.
यहां यह जानना भी दिलचस्प है कि मासिक किस्त मोहलत योजना दरअसल एक कानूनी समझौता है, जो घर खरीदार, डेवलपर और होम लोन देने वाले बैंक के बीच होता है. इस योजना के तहत घर खरीदार को ईएमआई के रूप में तब तक कोई रकम देने की जरूरत नहीं होती जब तक परियोजना पूरी होकर घर खरीदार को फ्लैट पर कब्जा नहीं मिल जाता.
ऐसी योजनाओं के तहत 10,000 से ज्यादा घर खरीदारों ने अनुबंध पर दस्तखत किए थे. दूसरी ओर, आम्रपाली ग्रुप ने शुरुआती धन लेने के बाद परियोजनाएं समय पर पूरी नहीं की. घर खरीदारों को घर नहीं मिले. उधर बैंकों ने घर खरीदारों पर ईएमआई का बोझ डालते हुए उनके होम लोन अकाउंट को एनपीए में डालकर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी.
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में जस्टिस उदय उमेश ललित और जस्टिस बेला माधुरी त्रिवेदी ने सुनवाई के दौरान सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद आदेश दिया. पीठ ने कहा कि घर खरीदारों के हितों की सुरक्षा तभी हो सकती है जब एमआई भरने में चूक करने वाले घर खरीदारों की मजबूरी को ध्यान में रखा जाए. उनके होम लोन अकाउंट को एनपीए घोषित नहीं किया जाए.
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उन्होंने यह भी कहा कि कोई भी बैंक घर खरीदारों की तरफ से मजबूरी में हुई चूक पर सख्ती बरतते हुए जुर्माना ना लगाए. क्योंकि, कायदे से तो मकान खरीदारों की देनदारी तब से शुरू होगी जब उन्हें उनके घर, फ्लैट, दुकान या संपत्ति पर कब्जा मिल जाए. मकान पर कब्जा मिलने के बावजूद अगर फ्लैट मालिक ईएमआई की रकम अदा नहीं करता है तब बैंक उस पर कार्रवाई के अधिकारी होंगे.
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