देवी लक्ष्मी पर टिप्पणी कर विवादों से घिरे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने दी अब ये सफाई

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‘श्रीरामचरित मानस’ और ‘बद्रीनाथ’ पर अपनी विवादित टिप्पणियों से सुर्खियों में रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के विधान परिषद सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य अब देवी लक्ष्मी पर तंज करके विवाद से घिर गए हैं.

बाद में उन्होंने इस पर सफाई देते हुए कहा कि उनका इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था, बल्कि सभी गृहिणियों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए उन्होंने ऐसा किया.

मौर्य ने रविवार को दीपावली के मौके पर अपनी पत्नी की पूजा की और सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर उसकी तस्वीरें डालीं.

उन्होंने पोस्ट में लिखा, ‘‘दीपोत्सव के अवसर पर अपनी पत्नी की पूजा व सम्मान …..पूरे विश्व के प्रत्येक धर्म, जाति, नस्ल, रंग व देश में पैदा होने वाले बच्चे के दो हाथ, दो पैर, दो कान, दो आंख, दो छिद्रों वाली नाक के साथ एक सिर, पेट व पीठ ही होती है. चार हाथ, आठ हाथ, दस हाथ, बीस हाथ व हजार हाथ वाला बच्चा आज तक पैदा ही नहीं हुआ तो चार हाथ वाली लक्ष्मी कैसे पैदा हो सकती है?’’

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उन्होंने कहा,

‘‘अगर आप लक्ष्मी देवी की पूजा करना ही चाहते हैं तो अपनी घरवाली की पूजा व सम्मान करें जो सही मायने में देवी है, जो आपके घर परिवार का पालन-पोषण, सुख-समृद्धि, खान-पान व देखभाल की जिम्मेदारी बहुत ही निष्ठा के साथ निभाती है.’’

मौर्य ने इस बारे में पूछे जाने पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर गृहिणी घर की लक्ष्मी है तो उसकी पूजा करो, उसका सम्मान करो, उसे महत्व दो. इससे न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में महिलाओं का सम्मान बढ़ेगा. मैंने अपनी पत्नी की पूजा करके यह परंपरा शुरू की है.’’

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‘एक्स’ पर अपने पोस्ट का बचाव करते हुए उन्होंने कहा,

‘‘मैंने केवल वही किया है जो व्यावहारिक, सत्य, वैज्ञानिक और शाश्वत है. मैं सनातन धर्म का सम्मान करता हूं. मैंने ‘एक्स’ पर पोस्ट में जो लिखा है, उस पर मैं कायम हूं। मैंने इसे सोच-समझकर लिखा है.’’

मौर्य के पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि वह किसी एजेंडे के तहत सनातन धर्म को निशाना बना रहे हैं.’’

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उन्होंने कहा,

‘‘स्वामी प्रसाद मौर्य ने लक्ष्मी जी पर जो बयान दिया है उससे हमारी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं और उन्हें इसके लिए माफी मांगनी चाहिए. मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से स्वामी प्रसाद मौर्य के बयानों और उनके भाषण पर प्रतिबंध लगाने का आग्रह करता हूं. ऐसा लगता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा को खत्म करने के लिए सुपारी ली है.’’

उत्तर प्रदेश में अन्य पिछड़े वर्गों के अहम नेता माने जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा से सपा में शामिल हो गए थे. वह रामचरितमानस और हिंदू मंदिरों पर अपनी टिप्पणियों को लेकर पहले भी विवादों में रह चुके हैं. इस साल के शुरू में उन्होंने रामचरित मानस के कुछ श्लोकों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.

समाजवादी पार्टी (सपा) नेता यह भी दावा कर चुके हैं कि आठवीं शताब्दी में हिंदू तीर्थ स्थल बनने से पहले, बद्रीनाथ एक बौद्ध मठ हुआ करता था.

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने मौर्य के पोस्ट को लेकर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘अखिलेश यादव (समाजवादी प्रमुख) चुप हैं. क्या यह सब उन्हीं के कहने पर ही हो रहा है?’’

मौर्य के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सपा के प्रवक्ता आईपी सिंह ने ‘एक्स’ पर कहा, ‘‘पांच वर्ष भाजपा में आप कैबिनेट मंत्री रहे तब मां लक्ष्मी जी और भगवान गणेश जी पर अभद्र टिप्पणी करते हुए डरते थे.’’

उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी को नुकसान पहुंचाना बन्द करिये. ये आपके निजी विचार हैं. समाजवादी पार्टी से इसका दूर दूर तक मतलब नहीं. समाजवादी पार्टी सभी धर्मों का सम्मान करती है.’’

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