पूर्वी यूपी में बारिश नहीं होने से धान की रोपाई प्रभावित, किसानों को सता रहा है सूखे का डर
एक तरफ जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त बारिश हो रही है और बाढ़ के हालात बने हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ पूर्वी उत्तर…
ADVERTISEMENT
एक तरफ जहां देश के अलग-अलग हिस्सों में जबरदस्त बारिश हो रही है और बाढ़ के हालात बने हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ पूर्वी उत्तर प्रदेश मे बारिश नहीं होने के चलते धान की खेती प्रभावित हो रही है और अब तो सूखे के आसार नजर आने लगे हैं. जिसके चलते अन्नदाताओं के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी हैं.
एक तरफ जहां बरसात न होने की वजह से धान की खेती पिछड़ रही है. वहीं दूसरी तरफ धान की नर्सरी को बचाने की कवायद में भी किसानों के पसीने छूट जा रहे हैं. धान का कटोरा कहा जाने वाला चंदौली हो या फिर मिर्जापुर, देवरिया हो या गोंडा. पूर्वांचल सहित यूपी के तमाम जिलों मे बारिश न होने के चलते हर तरफ हाहाकार मचा है और अन्नदाता सूखे की आशंका से चिंतित हैं. वहीं उत्तर प्रदेश के मौसम विभाग का कहना हौ कि आने वाले एक सप्ताह मे पूरे उत्तर प्रदेश मे अच्छी बारिश होने की सम्भावना है.
धान के कटोरे चंदौली में नहीं हुई बारिश, खेतों में उड़ रही है धूल
यह भी पढ़ें...
ADVERTISEMENT
धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में जुलाई का दूसरा सप्ताह चल रहा है और अब तक जिन खेतों में धान की रोपाई हो जानी चाहिए थी, उन खेतों में अभी तक धूल उड़ रही है. किसानों की आंखें आसमान की तरफ टकटकी लगाए देख रही हैं कि कब इंद्रदेव मेहरबान होंगे और बारिश होगी और वह लोग अपने खेतों में धान की रोपाई कर पाएंगे.
नियमताबाद गांव के रहने वाले किसान धर्मेंद्र सिंह हों या फिर सरने गांव के रहने वाले प्यारेलाल, इलाके के तमाम किसानो को इस बात की चिंता सता रही है कि अगर बरसात नहीं होगी तो धान की रोपाई कैसे होगी और धान की फसल जब पैदा नहीं होगी तो उनके घर का खर्च कैसे चलेगा?
ADVERTISEMENT
चंदौली जिले के नियमताबाद के रहने वाले किसान धर्मेंद्र कुमार सिंह कहते हैं कि बारिश एकदम नहीं हो रही है जिसके पास नहर है वह थोड़ा-थोड़ा करके अपना रोपाई कर रहा है, बाकी किसान बिल्कुल परेशान हैं. बिल्कुल सूखा की स्थिति हो गई है. बच्चों को पढ़ाना लिखाना है, कैसे पढ़ाएंगे लिखाएंगे. यही सब समस्या सामने पड़ी हुई है. धान की खेती पिछड़ रही है हम लोग धान की खेती पर ही निर्भर हैं. धान की पैदावार अच्छी होती है तो किसान अपने बच्चों को पढ़ाते-लिखाते हैं और अगर पैदावार अच्छी नहीं हुई तो परेशानी बढ़ेगी.
वहीं सरने ग्राम सभा के किसान प्यारेलाल बताते हैं कि मानसून की स्थिति एकदम ठीक नहीं है. जो नहर के किनारे हैं वो रोपाई कर ले रहे हैं, बाकी जो बीच सिवान में हम लोग पड़े हुए हैं वहां पर पानी नहीं है. हम लोगों का मुख्य काम खेती ही है जिसकी वजह से बाल बच्चों को पढ़ाते हैं. यह स्थिति एकदम चिंताजनक है. इंद्र भगवान एकदम प्रकोप में आ गए हैं. अभी भी बारिश नहीं हुई तो आने वाली फसल पर बहुत ही प्रभाव पड़ेगा, भुखमरी हो जाएगी. बीवी-बच्चे सब परेशान हो जाएंगे. पढ़ाई लिखाई नहीं हो पाएगी. यही हम लोगों का एक आधार है.
दरअसल, पूर्वी उत्तर प्रदेश का चंदौली धान का कटोरा कहा जाता है और यहां पर धान की बेहद अच्छी पैदावार होती है.अधिकांश किसान खेती-बाड़ी पर ही निर्भर हैं. ऐसे में बारिश ना होने की वजह से किसानों की चिंता लाजिमी है. चंदौली मे कुल 2, 56000 किसान धान की खेती करते हैं. जनपद में इस साल कुल 113600 हेक्टेयर पर धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
ADVERTISEMENT
उधर, मौसम विभाग के अनुसार जिले मे अब तक जनपद में कुल 234.3 एमएम बारिश हो जानी चाहिए थी. लेकिन अभी तक सिर्फ 81.7 एमएम यानी 34% ही बारिश हो पाई है. हालांकि जिले में सिंचाई के लिए नहरे भी हैं. जिनके माध्यम से नहरों के नजदीकी इलाके वाले किसान रोपाई कर रहे हैं. बावजूद इसके अब तक महज 12% धान की रोपाई ही हो पाई है, जबकि सामान्य स्थिति में अब तक कम से कम 20% धान की रोपाई पूरी हो जानी चाहिए थी.
जुलाई के अंत तक यह आंकड़ा 80% हो जाना चाहिए था. लेकिन यहां तो धान की नर्सरी बचाना ही मुश्किल साबित हो रहा है. कई ऐसे किसान भी हैं, जो पंपिंग सेट चलाकर धान की नर्सरी बचाने की कवायद में जुटे हैं. नियमताबाद ब्लॉक के सिवान में हमें एक ऐसे ही किसान मिले. मंजूर आलम नाम के इस किसान ने बताया कि एक तरफ इंद्रदेव नाराज हैं, वहीं दूसरी तरफ डीजल की महंगाई ने भी किसानों की कमर तोड़ दी है. डीजल वाले पंप सेट चला कर धान की नर्सरी को बचाने की जद्दोजहद करनी पड़ रही है.
मिर्जापुर में भी रूठे बादल, धान की रोपाई प्रभावित
मिर्जापुर में बादलों के रूठने से किसानों की मुसबीत बढ़ गयी है और बरसात न होने के कारण अब सूखे की आशंका बढ़ गयी है. इसका असर अब खेती पर भी दिखाई दे रहा है. जनपद में जून और जुलाई के बीच 223 एमएम बारिश की जगह महज 110.8 मीली बारिश हुई है, जो कि सामान्य बारिश का लगभग 49 प्रतिशत है.
बरसात न होने का सबसे अधिक असर दूसरे से खेत बटाई पर लेकर खेती करने वाले किसानों पर हैं. मिर्जापुर के सिटी ब्लाक अंतर्गत हरिहरपुर बेदौली गांव के रहने वाले मन्तराम और उनकी पत्नी गीता 4 बीघा खेत बटाई पर लेकर खेती कर रहे हैं. इस वर्ष उम्मीद थी कि बरसात अच्छी होगी. फसल अच्छी होने से आय भी अच्छी होगी. मगर जून से जुलाई के बीच बरसात नहीं होने से अब लाभ की उम्मीद खत्म हो रही है.
किसान मन्तराम कहते हैं कि उम्मीद थी कुछ अच्छा हो जायेगा. मगर वह भी नहीं हो पा रहा. उनकी पत्नी गीता का कहना है कि बरसात नहीं होने से कुछ नहीं हो पायेगा. वहीं कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अगर एक हफ्ते और बारिस नहीं होगी तो इसका असर जरूर फसलों पर पड़ेगा.
बारिश नहीं होने के चलते देवरिया के किसान परेशान
देवरिया जिले के कुछ गांवों में खेतों में धान की हालात की पड़ताल करने पर पता चला कि बारिश नहीं होने और सूरज की तेज तपिश से धान के छोटे-छोटे पौधे मुरझा चुके हैं. देवरिया जिले के परसिया मल्ल गांव में हमने कई किसानों के खेत देखें, जो सुख चुके हैं और अभी भी बारिश नहीं हुई तो निश्चित ही फसल चौपट हो जाएगी. जो छोटे किसान हैं, उनके खाने के लाले तक पड़ जाएंगे.
इसी गांव के राम कलफ प्रजापति ने धान की रोपाई कर ली है. लेकिन बरसात न होने के चलते खेत पूरी तरह सूख चुका है और उनकी निगाह बादल की तरफ है कि कब बदरा आएंगे और उनकी फसल लहलहा उठेगी. राम कलफ और उनकी पत्नी, दोनों खेतों में काम करते हैं. दो से ढाई बीघा धान की फसल बोये हैं. इनकी घर की हालत कुछ खास नहीं है. इनके बच्चे या तो पढ़ रहे हैं या तो छोटी-मोटी नौकरी कर जीवन-यापन कर रहे हैं.
गोंडा में नहीं बरसे बदरा, सूखे की आशंका से किसान चिंतित
लगभग आधी जुलाई बीतने के बावजूद दूर-दूर तक मानसून के कोई आसार न होने से गोंडा में किसान सूखे की मार झेलने रहे हैं. धान की फसल के लिए खेत तैयार होने के बावजूद अभी बुवाई नहीं हुई है. अगर धान रोपा भी गया है तो एक बार पानी भरने के बाद चटक धूप के चलते तीसरे दिन वह खेत भी सूख जा रहे हैं.
बारिश न होने से धान की फसल प्रभावित हो रही है. अपने खेत में पानी भर रहे एक किसान ओम प्रकाश तिवारी ने बताया कि पिछले बार तो भारी बारिश से फसल खराब हो गयी थी. इस बार सूखा मार डालेगा.
उप निदेशक कृषि सुरेंद्र कुमार ने फोन पर बताया कि जिले में खरीफ फसलों का कुल रकबा 1 लाख 90 हजार 333 हेक्टयर है, जिसमें जिले में 1 लाख 28 हजार 498 हेक्टेयर धान ही बोया जाता है. अगर जल्द ही बारिश नहीं हुई, तो जिले के किसानों के सामने विकट समस्या खड़ी हो जाएगी.
क्या कहता है यूपी का मौसम विभाग
उत्तर प्रदेश के मौसम के बारे में जानकारी देते हुए मौसम विभाग के निदेशक जेपी गुप्ता ने बताया कि अभी बरसात का मौसम शुरू हुआ है और यह सितंबर तक रहता है. आगे आने वाले समय में बारिश होगी. आने वाले 1 सप्ताह में कहीं-कहीं ही हल्की बरसात होगी. लेकिन एक हफ्ते की बाद बारिश अच्छी होगी. अनुमान के तौर पर 21 और 22 जुलाई को बारिश अच्छी हो सकती है.
पूर्वी यूपी में मौसम की बेरूखी झेल रहे किसान, जिन खेतों में लहलहानी थी फसल वहां उड़ रही धूल
ADVERTISEMENT